Lok Sabha Elections 2024 In India Congress Said ‘no’ Then AAP Showed Its Attitude, Why Saurabh Bhardwaj Said Copy Cat Congress | Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस ने कहा ‘ना’ तो AAP ने दिखाए तेवर, सौरभ भारद्वाज क्यों बोले


Delhi News: केंद्र सरकार द्वारा देश की राजधानी में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर अध्यादेश लागू करने के बाद से दिल्ली में राजनीति चरम पर है. इस मसले पर दिल्ली में आप (AAP), बीजेपी (BJP) और कांग्रेस के बीच जारी सियासी आंखमिचौली का सीधा असर लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय राजनीति पर भी देखा जा रहा है. अध्यादेश देश लागू होने के कुछ दिनों के बाद से ही आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक सीएम अरविंद ​केजरवाल राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता की मुहिम चला रहे हैं. दिल्ली के सीएम ने इस मुद्दे पर कांग्रेस से सपोर्ट की भी मांग की थी, लेकिन अभी तक देश की सबसे पुरानी पार्टी ने उनके इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें अभी तक मिलने का समय भी नहीं दिया है. इस मसले पर एक बार फिर मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने कांग्रेस (Congress) के खिलाफ बयान देकर खलबली मचा दी है. 
इस बात को ध्यान में रखते हुए आप विपक्षी एकता की अपनी मुहिम के बीच भी कांग्रेस का पहले की तरह विरोध भी करती नजर आ रही है. कांग्रेस से समर्थन न मिलने के संकेत को भांपते हुए खुद सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अध्यादेश केवल दिल्ली का मसला नहीं है, बल्कि यह गैर बीजेपी शासित राज्यों जुड़े होने के कारण एक राष्ट्रीय मसला है. कांग्रेस को यह तय करना होगा ​कि वो किसके साथ है. उसके बाद से दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज लगातार कांग्रेस पर हमला बोल रहे हैं. उन्होंने 27 मई को अजय माकन के बयान​ पर पलटवार करते हुए कहा था कि आप की सरकार के खिलाफ कांग्रेस नेता अजय माकन बीजेपी के लिए बैटिंग कर रहे हैं. दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने 15 जून को एक बार फिर कांग्रेस पर आप का मैनिफेस्टो कॉपी करने का आरोप लगाया है. 
सौरभ भारद्वाज क्यों बोले कॉपी कैट कांग्रेस?
ऐसे सवाल यह उठता है कि जब आप प्रमुख अरविंद देशभर में बीजेपी विरोधी पार्टी के नेताओं से अध्यादेश पर समर्थन देकर विपक्षी एकता की वकालत करने में कितना दम है. यह सवाल इसलिए वाजिब है कि सीएम अरविंद केजरीवाल की विपक्षी एकता की मुहिम के बीच भी वो कांग्रेस से तालमेल बैठाने के बदले उससे सियासी आरोप-प्रत्यारोप में उलझती नजर आ रही है. दरअसल, दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आप की नीतियों को कॉपी करने का आरोप लगाया. उन्होंने देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को Copy Cat Congress करार देते हुए कहा कि जब आप ने महिलाओं की फ्री बस यात्रा की घोषणा की तो कांग्रेस ने खूब विरोध किया था, लेकिन हिमाचल और कर्नाटक में दिल्ली सरकार की उसी नीति कांग्रेस ने चुरा लिया. उन्होंने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि उसके पास ऐसे लोग नहीं बचे जो लोगों से बात कर सकें, एक खुद का मैनिफेस्टो बना सकें. कांग्रेस में न केवल लीडरशिप क्राइसिस है, आइडियाज का भी क्राइसिस है. कांग्रेस के नेताओं को लोगों से जुड़ाव खत्म हो गया है. सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी सबसे नई पार्टी से आइडियाज और मैनिफेस्टो चुराने लगी है. सीएम अरविंद केजरीवाल जी का “Guarantee” शब्द का भी कांग्रेस ने Copy कर लिया.
कांग्रेस नेता को दी थी ये सलाह
27 मई को अध्यादेश के मसले पर अजय माकन के बयान पर पलटवार करते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि 11 सितंबर 2002 को कांग्रेस की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव लाई थीं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों ने मिलकर पास किया था. अजय माकन ने दिल्ली विधान सभा में कहा था कि अन्य प्रदेश के बराबर ही दिल्ली के मुख्यमंत्री की शक्ति होती है. उनका भाषण आज भी विधानसभा में मौजूद है. अजय माकन दिल्ली की जनता को गुमराह कर रहे हैं और बीजेपी का साथ दे रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस के कुछ और नेता दिल्ली के लोगों को गुमराह कर रहे हैं. ऐसा करने के बदले वो जनता के बीच में जाएं और चर्चा करें, जनता बताएगी कि अध्यादेश सही है या गलत? 
माकन ने  नेतृत्व शैली पर उठाए थे सवाल
दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने 26 मई को कहा था कि उन्होंने यह कभी दावा नहीं किया कि शीला दीक्षित ने पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मांगा. इस मामले में उनका कहना है कि सीएम केजरीवाल चाहते है कि उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त हो, जो पहले के मुख्यमंत्रियों शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज को नहीं मिला था. यदि दिल्ली के सभी पूर्व मुख्यमंत्री बिना कोई हंगामा किए अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे थे तो केजरीवाल इतनी अव्यवस्था क्यों फैला रहे हैं? दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं से संबंधित केंद्र के अध्यादेश के विषय पर केजरीवाल का समर्थन करने का मतलब जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जैसे नेताओं के उन विवेकपूर्ण निर्णयों के खिलाफ खड़ा होना होगा, जो उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी के संदर्भ में कभी लिए थे. 
यह भी पढ़ें:  Lok Sabha Election 2024: भगवंत मान के बाद अब सौरभ भारद्वाज का दावा, ‘2024 में फिर बने मोदी PM तो उसके बाद देश में नहीं होंगे चुनाव’



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