Sawan 2023 : कहां हैं कृष्णा डाक बम? जो 40 साल से सावन के हर सोमवार 105 KM पैदल चलकर बाबा धाम में चढ़ा रहीं जल


श्रावणी मेला 2023
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

भागलपुर में मेला लग चुका है। देश के हर कोने से जो भी ट्रेन इस तरफ आ रही, गेरुआ वस्त्रधारी लोग कांवर लिए बोल बम का नारा लगा रहे। भागलपुर के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर कांवरिये झारखंड के देवघर निकल रहे हैं। वर्षों से आने वाले हों या पहली बार आए हों, कुछ सवाल सभी के मन में है- बाबा के दर्शन करने जाएंगे तो कृष्णा माता बम दिखेंगी? क्या वह भागलपुर आ गई हैं? इस बार आठ सोमवार है तो क्या हर सोमवारी वह 105 किलोमीटर की बिना रुके यात्रा करती हुई बाबा को जल चढ़ाएंगी? ‘अमर उजाला’ ने इन सवालों के साथ कृष्णा माता बम से बात की। 

एक कांवरिये वीआईपी बनने की कहानी है यह

पिछले कई वर्षों से कृष्णा बम अपने गृह जिला मुजफ्फरपुर से भागलपुर पहुंचते ही सरकारी विद्यालय की एक शिक्षिका वीआईपी के रूप में नजर आने लगती थीं। किसी दूसरे कांवरिये के लिए नहीं और न ही जान-पहचान या परिवार वालों के लिए ऐसा होता। वीआईपी बन जाती हैं प्रशासन-पुलिस के लिए। उनके आसपास पुलिस की तैनाती देखकर कई बार लोग अकचका जाते। यह एक सामान्य भोले भक्त के वीआईपी बनने की कहानी है। इस कहानी की शुरुआत 1982 से हुई, जब एक महिला को लोगों ने डाक बम के रूप में देखना शुरू किया। डाक कांवर या डाक बम का मतलब है कि गंगाजल उठाने के बाद बिना रुके 105 किलोमीटर की यात्रा कर बाबाधाम में जल अर्पण करे। किसी महिला के लिए यह कितना असहज माना जाता होगा, इसलिए लोग अचरज से देखने लगे। भक्ति की ऐसी शक्ति की कृष्णा बम सुल्तानगंज से जल लेकर सावन के हर सोमवार को बाबा को अर्पित करने लगीं। यह सिलसिला 2022 तक चला। कभी छूटा नहीं। 

पुणे में हैं कृष्णा बम, क्योंकि बाबा को कह चुकीं

भोलेनाथ की अनन्य भक्त कृष्णा माता बम ने ‘अमर उजाला’ से बातचीत में बताया- “पिछले साल ही बाबा भोलेनाथ को जल अर्पित करते समय कह दिया था कि अब पता नहीं, शरीर आगे उस तरह काम करे या नहीं; इसलिए 40 साल से जैसे आती रही- नहीं आ पाऊंगी। डाक बम के रूप में यात्रा स्थगित करने के लिए बाबा बैद्यनाथ को कह चुकी हूं, लेकिन बाबा हर पल मन में हैं। सावन आते ही मन में वहां जाने की भावना तो जाग रही है, लेकिन अब बाबा दूर से ही मेरी अर्चना-आराधना को स्वीकार करें।” वह आगे कहती हैं- “बाबा के पास एक ही मनौती के साथ जाती थी। उसमें मेरा भी कुछ हिस्सा था, जिसे बाबा ने पूरा किया। भक्त को और क्या चाहिए! परनातियों को पुणे में खेलते-कूदते देख रही हूं। मन बाबा में रमा है और तन इनके साथ रम रहा है।”



Source link

Related Articles

Stay Connected

1,271FansLike
1FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles