Sanatan Dharma Madras High Court Said King Duty To His People Duty To Parents And Gurus


Madras Court on Sanatana Dharma: मद्रास कोर्ट ने सनातन धर्म से संबंधित एक मामले को लेकर कहा कि सनातन धर्म शाश्वत कर्त्तव्यों का एक समूह है, इसे एक विशेष साहित्य मे नहीं खोजा जा सकता है. इसमें हर तरह की जिम्मेदारियां शामिल हैं चाहे वो राष्ट्र के लिए हो, राजा का अपनी प्रजा के लिए हो या फिर माता-पिता और गुरुओं के लिए हो और इसके अलावा भी कई अन्य कर्तव्य शामिल हैं. दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने ये सारी बातें सनातन धर्म संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान कही.
क्या है पूरा मामलालाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, थिरु वी का गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज के प्र‌िंसिपल ने एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कॉलेज की छात्राओं से तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री अन्नादुराई की जयंती के मौके पर सनातन का विरोध विषय पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए कहा गया. इस सर्कुलर को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एन शेषशायी ने ये सारी बातें कही. 
‘हर धर्म आस्था पर आधारित’
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद (19)(1) अभिव्यक्ति की आजादी देता है, लेकिन हर धर्म आस्था पर आधारित है. इसलिए जब धर्म से संबंधित मामलों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग किया जाता है, तो यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि कोई भी आहत न हो. मद्रास हाईकोर्ट ने आगे कहा कि स्वतंत्र भाषण हेट स्पीच नहीं हो सकता. इसके साथ ही जस्टिस एन शेषशायी ने कहा कि क्या एक नागरिक को अपने देश से प्यार नहीं करना चाहिए और क्या उसका अपने राष्ट्र की सेवा करना कर्तव्य नहीं है? क्या माता-पिता की देखभाल नहीं की जानी चाहिए? जो कुछ चल रहा है, उसके प्रति वास्तविक चिंता के साथ, यह न्यायालय इस पर विचार करने से खुद को रोक नहीं सका. 
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