लालू यादव-नीतीश कुमार।
– फोटो : एएनआई
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दिल्ली में रविवार का दिन विपक्षी एकता की जमीन तैयार करने के लिए अहम होने जा रहा है। जबसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं और उन्होंने ये साफ तौर पर कहा है कि भाजपा के खिलाफ बनने वाले किसी भी गठबंधन में कांग्रेस शामिल होगी, इसकी कोशिशें और तेज हो गई हैं। दूसरी तरफ सबकी निगाह अब नीतीश कुमार और लालू यादव पर भी टिकी है, क्योंकि ये दोनों ही नेता रविवार को सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली आ रहे हैं। इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल की बैठक में लालू यादव ये भी कह चुके हैं कि वो राहुल गांधी से भी मिलेंगे और भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए विपक्ष के बड़े गठबंधन के लिए उन्हें तैयार करेंगे।कुछ ही दिन पहले नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की कोशिशों के तहत दिल्ली का मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव और इंडियन नेशनल लोकदल के अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला से भी मिले थे।हर प्रदेश के अलग अलग सियासी समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस को साथ लाना और महागठबंधन का हिस्सा बनाना कुछ मुश्किल जरूर है। क्योंकि आम आदमी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति और तृणमूल कांग्रेस के अपने अपने तर्क हैं और ये पार्टियां कांग्रेस को साथ लेकर चलने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन नीतीश कुमार का मानना है कि बगैर कांग्रेस के यह गठबंधन कारगर नहीं हो पाएगा और अगर भाजपा को सत्ता से हटाना है तो कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करना ही होगा।दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी एक बार कांग्रेस से गठबंधन करने के बाद नुकसान में रही थी, इसलिए अखिलेश यादव को भी फिलहाल इसके लिए तैयार करने में मुश्किल आ रही थी, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाले इस गठबंधन में कांग्रेस को साथ लेने में अखिलेश को आपत्ति नहीं है, क्योंकि अभी पहली कोशिश 2024 के चुनाव में भाजपा को सत्ता से हटाना है।दूसरी तरफ भाकपा महासचिव डी राजा और माकपा नेता सीताराम येचुरी भी मानते हैं कि यह वक्त क्षेत्रीय स्तर पर अपनी महत्वाकांक्षाओं को हावी होने देने का नहीं बल्कि देश को संघ और भाजपा की सत्ता से मुक्त करने का है। रविवार को होने वाली मुलाकातों पर फिलहाल सभी विपक्षी दलों की नजर है और माना जा रहा है कि नीतीश कुमार और लालू यादव सोनिया गांधी के अलावा अन्य विपक्षी नेताओं के साथ भी मुलाकात की पहल करेंगे और इन मुलाकातों के सिलसिले को लगातार तेज करेंगे।
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दिल्ली में रविवार का दिन विपक्षी एकता की जमीन तैयार करने के लिए अहम होने जा रहा है। जबसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं और उन्होंने ये साफ तौर पर कहा है कि भाजपा के खिलाफ बनने वाले किसी भी गठबंधन में कांग्रेस शामिल होगी, इसकी कोशिशें और तेज हो गई हैं। दूसरी तरफ सबकी निगाह अब नीतीश कुमार और लालू यादव पर भी टिकी है, क्योंकि ये दोनों ही नेता रविवार को सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली आ रहे हैं। इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल की बैठक में लालू यादव ये भी कह चुके हैं कि वो राहुल गांधी से भी मिलेंगे और भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए विपक्ष के बड़े गठबंधन के लिए उन्हें तैयार करेंगे।
कुछ ही दिन पहले नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की कोशिशों के तहत दिल्ली का मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव और इंडियन नेशनल लोकदल के अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला से भी मिले थे।
हर प्रदेश के अलग अलग सियासी समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस को साथ लाना और महागठबंधन का हिस्सा बनाना कुछ मुश्किल जरूर है। क्योंकि आम आदमी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति और तृणमूल कांग्रेस के अपने अपने तर्क हैं और ये पार्टियां कांग्रेस को साथ लेकर चलने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन नीतीश कुमार का मानना है कि बगैर कांग्रेस के यह गठबंधन कारगर नहीं हो पाएगा और अगर भाजपा को सत्ता से हटाना है तो कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करना ही होगा।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी एक बार कांग्रेस से गठबंधन करने के बाद नुकसान में रही थी, इसलिए अखिलेश यादव को भी फिलहाल इसके लिए तैयार करने में मुश्किल आ रही थी, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाले इस गठबंधन में कांग्रेस को साथ लेने में अखिलेश को आपत्ति नहीं है, क्योंकि अभी पहली कोशिश 2024 के चुनाव में भाजपा को सत्ता से हटाना है।
दूसरी तरफ भाकपा महासचिव डी राजा और माकपा नेता सीताराम येचुरी भी मानते हैं कि यह वक्त क्षेत्रीय स्तर पर अपनी महत्वाकांक्षाओं को हावी होने देने का नहीं बल्कि देश को संघ और भाजपा की सत्ता से मुक्त करने का है। रविवार को होने वाली मुलाकातों पर फिलहाल सभी विपक्षी दलों की नजर है और माना जा रहा है कि नीतीश कुमार और लालू यादव सोनिया गांधी के अलावा अन्य विपक्षी नेताओं के साथ भी मुलाकात की पहल करेंगे और इन मुलाकातों के सिलसिले को लगातार तेज करेंगे।