सुप्रीम कोर्ट
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बिहार सरकार की शिक्षक भर्ती नीति के खिलाफ हो रहे विरोध मार्च के दौरान जहानाबाद के एक भाजपा नेता की मौत का मामला तूल पकड़ चुका है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। याचिका में भाजपा नेता की मौत के मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने या शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग की गई है।
जानकारी के मुताबिक, अधिवक्ता वरुण सिन्हा के माध्यम से भूपेश नारायण ने यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें 13 मार्च को हुई भाजपा नेता की मौत की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग की गई है। साथ ही घटना के संबंध में पटना की स्थानीय पुलिस द्वारा दर्ज की गई सभी प्राथमिकियों को अपने कब्जे में लेने के लिए जांच एजेंसी को निर्देश देने की मांग की गई। साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पुलिस महानिदेशक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पटना के जिला मजिस्ट्रेट (प्रतिवादी संख्या 1 से 6) और अन्य अधिकारी की भूमिका की जांच करने की मांग की गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित शांतिपूर्ण जुलूस के दौरान हुई इस घटना के असली अपराधियों को बचाने में राज्य सरकार लगी हुई है। याचिका में कहा गया है कि भारतीय नागरिकों के खिलाफ सत्ता का दुरुपयोग व्यक्तिगत मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है।
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याचिका में कहा गया है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में व्यक्तियों की भागीदारी इसकी निष्पक्षता और अखंडता पर निर्भर करती है। इसमें यह भी कहा गया है कि उत्तरदाताओं का यह सुनिश्चित करना कर्तव्य है कि जनता को अपराधियों, इन आपराधिक कार्यों के पैमाने और प्रभाव और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन और ऐसी आगे की घटनाओं को रोकने के लिए किए गए उपायों के बारे में सूचित किया जाए।
बता दें कि बीती 13 जुलाई को जहानाबाद के एक भाजपा नेता की कथित तौर पर पुलिस के लाठीचार्ज के दौरान तब मौत हो गई थी, जब वह बिहार सरकार की शिक्षक भर्ती नीति के खिलाफ भाजपा के विरोध मार्च में भाग ले रहे थे। मृतक भाजपा नेता जहानाबाद जिले के महासचिव विजय कुमार सिंह थे। वे विरोध स्थल से बमुश्किल 500 मीटर की दूरी पर छज्जू बाग में बेहोश पाए गए थे।
बड़ी संख्या में शिक्षकों ने राज्य कैबिनेट द्वारा आवेदक शिक्षकों के लिए अधिवास खंड को हटाने के फैसले का विरोध किया है। भाजपा ने उनके इस विरोध का समर्थन किया है। साथ ही बिहार सरकार से अधिवास खंड को बहाल करने की मांग की है। इतना ही नहीं एक कथित घोटाले में आरोप पत्र दायर होने के बाद तेजस्वी का इस्तीफा भी मांगा है।