वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व।
– फोटो : अमर उजाला।
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बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में बाघों व मनुष्यों के बीच संघर्ष राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस बाघ अभयारण्य में बिहार के 50 में से 40 बाघ रहते हैं और यहां वन्य जीवों और जंगल में रहने वालों के बीच संघर्ष की खबरें आती रहती हैं। बिहार में 2014 में 32 बाघ थे, जो 2018 में बढ़कर 50 हो गए। 2022 की गणना अभी पूरी होना है और विशेषज्ञों का अनुमान है कि बाघों की संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़ सकती है। एक अधिकारी ने कहा कि वन विभाग ने वीटीआर में और उसके आसपास मानव-पशु संघर्ष की जांच के लिए पर्याप्त और प्रभावी उपाय किए हैं। इस अभयारण्य में नौ लोगों को मारने के बाद एक बाघ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।नरभक्षी हो गया था बाघ, इसलिए मारी गोलीबिहार वन विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि उक्त बाघ ने पश्चिमी चंपारण इलाके में आतंक मचा रखा था। उसके हमले में लोगों की जान जाना बेहद दुखद है। इसके साथ ही बाघ की हत्या के महिमामंडन का भी कोई मतलब नहीं है।नरभक्षी बाघ को आठ अक्तूबर को बगहा के जंगल में हैदराबाद और पटना से लाए गए वन कर्मियों की एक टीम ने गोली मार दी थी। उसकी हत्या का आदेश सरकारी प्रक्रिया के अनुसार जारी किया गया था। इससे पहले जांच में यह पुष्टि की गई थी कि वह मानव आबादी क्षेत्र में रहने का आदी था और नरभक्षी हो गया था। आबादी क्षेत्रों में जाते हैं कमजोर बाघचौधरी ने कहा कि हम भविष्य में मानव-बाघ संघर्षों से बचने के लिए पहले से मौजूद उपायों की समीक्षा करेंगे। चूंकि बाघ संरक्षित क्षेत्रों की सीमा में रहते हैं, इसलिए मानव के साथ उनके संघर्ष की आशंका स्पष्ट रूप से बढ़ जाती है। कमजोर बाघ मानव आबादी क्षेत्रों में जाने की कोशिश करते हैं, जिससे मानव-पशु संघर्ष में वृद्धि होती है। इसलिए कुछ उपायों पर चर्चा और समीक्षा के लिए जल्द ही एक बैठक बुलाई जाएगी।शुक्रवार शाम को वीटीआर के किनारे एक बाघ ने चार बकरियों को मार डाला। वीटीआर लगभग 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। वीटीआर मंगुराहा वन रेंज से निकला है, जो हिमालय की तलहटी में स्थित है। चौधरी ने कहा कि इस घटना का भी विशेषज्ञ विश्लेषण कर रहे हैं।वीटीआर में सैकड़ों कैमरे भी लगाए बिहार के कैमूर और पंत वन्यजीव अभयारण्यों और पटना चिड़ियाघर में भी बाघ हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बाघिन सरिता से पैदा हुए चार शावकों का नाम रखा था। चौधरी ने कहा कि वन्य जीवों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए वीटीआर में सैकड़ों कैमरे भी लगाए गए हैं।
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बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में बाघों व मनुष्यों के बीच संघर्ष राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस बाघ अभयारण्य में बिहार के 50 में से 40 बाघ रहते हैं और यहां वन्य जीवों और जंगल में रहने वालों के बीच संघर्ष की खबरें आती रहती हैं।
बिहार में 2014 में 32 बाघ थे, जो 2018 में बढ़कर 50 हो गए। 2022 की गणना अभी पूरी होना है और विशेषज्ञों का अनुमान है कि बाघों की संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़ सकती है। एक अधिकारी ने कहा कि वन विभाग ने वीटीआर में और उसके आसपास मानव-पशु संघर्ष की जांच के लिए पर्याप्त और प्रभावी उपाय किए हैं। इस अभयारण्य में नौ लोगों को मारने के बाद एक बाघ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
नरभक्षी हो गया था बाघ, इसलिए मारी गोली
बिहार वन विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि उक्त बाघ ने पश्चिमी चंपारण इलाके में आतंक मचा रखा था। उसके हमले में लोगों की जान जाना बेहद दुखद है। इसके साथ ही बाघ की हत्या के महिमामंडन का भी कोई मतलब नहीं है।
नरभक्षी बाघ को आठ अक्तूबर को बगहा के जंगल में हैदराबाद और पटना से लाए गए वन कर्मियों की एक टीम ने गोली मार दी थी। उसकी हत्या का आदेश सरकारी प्रक्रिया के अनुसार जारी किया गया था। इससे पहले जांच में यह पुष्टि की गई थी कि वह मानव आबादी क्षेत्र में रहने का आदी था और नरभक्षी हो गया था।
आबादी क्षेत्रों में जाते हैं कमजोर बाघ
चौधरी ने कहा कि हम भविष्य में मानव-बाघ संघर्षों से बचने के लिए पहले से मौजूद उपायों की समीक्षा करेंगे। चूंकि बाघ संरक्षित क्षेत्रों की सीमा में रहते हैं, इसलिए मानव के साथ उनके संघर्ष की आशंका स्पष्ट रूप से बढ़ जाती है। कमजोर बाघ मानव आबादी क्षेत्रों में जाने की कोशिश करते हैं, जिससे मानव-पशु संघर्ष में वृद्धि होती है। इसलिए कुछ उपायों पर चर्चा और समीक्षा के लिए जल्द ही एक बैठक बुलाई जाएगी।
शुक्रवार शाम को वीटीआर के किनारे एक बाघ ने चार बकरियों को मार डाला। वीटीआर लगभग 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। वीटीआर मंगुराहा वन रेंज से निकला है, जो हिमालय की तलहटी में स्थित है। चौधरी ने कहा कि इस घटना का भी विशेषज्ञ विश्लेषण कर रहे हैं।
वीटीआर में सैकड़ों कैमरे भी लगाए
बिहार के कैमूर और पंत वन्यजीव अभयारण्यों और पटना चिड़ियाघर में भी बाघ हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 30 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बाघिन सरिता से पैदा हुए चार शावकों का नाम रखा था। चौधरी ने कहा कि वन्य जीवों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए वीटीआर में सैकड़ों कैमरे भी लगाए गए हैं।