Pariksha Pe Charcha Ten Big Lessons Of PM Modi From Children ANN


नई दिल्ली:  शुक्रवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में प्रधानमंत्री ने बोर्ड परीक्षाओं से पहले छात्रों के साथ “परीक्षा पे चर्चा” की. करीब दो घंटे पीएम मोदी ने बच्चों के सवालों के जवाब देते हुए उनमें आत्मविश्वास भरा और सफलता के कई मन्त्र दिए.
पीएम मोदी ने बच्चों से कहा कि परीक्षा के लिए योग्यता हासिल करने के लिए पढ़ें. प्रधानमंत्री ने बेहद सरलता के साथ बच्चों को तनाव से बचने से लेकर एकाग्रता हासिल करने के गुर सिखाए. पीएम ने बेटियों के समान अधिकार की भी बात की और साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए भी नई पीढ़ी को जागरूक किया. “परीक्षा पे चर्चा” कार्यक्रम के पांचवे संस्करण में एक बार फिर बच्चों के बीच पहुंचे पीएम मोदी ने बच्चों से कहा कि आपके बीच आ कर मैं 50 साल छोटा हो जाता हूं. परीक्षा पे चर्चा से आपका फायदा हो ना हो मुझे बहुत फायदा होता है.  जानते हैं छात्रों के साथ प्रधानमंत्री के संवाद की दस बड़ी बातें :-

पीएम मोदी ने कहा कि आप जो जानते हैं, उसमें आत्मविश्वास रखें और दूसरों की देखा-देखी करने की बजाय सहज तरीके से अपने रूटीन को जारी रखें. उत्सव भाव से परीक्षा में शामिल हों.
चुटकी लेते हुए पीएम ने पूछा आप लोग ऑनलाइन पढ़ाई के समय पढ़ाई करते हैं या रील देखते हैं? बात ऑनलाइन-ऑफलाइन की नहीं है, एकाग्रता की है. पीएम ने कहा कि माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है. युग के मुताबिक माध्यम बदलते हैं. ऑनलाइन माध्यम को अवसर मानना चाहिए, समस्या नहीं. डोसा बनाने का उदाहरण देते हुए पीएम मोदी ने कहा, ऑनलाइन पाने के लिए है, ऑफलाइन बनने के लिए. जैसे, डोसा बनाने की विधि ऑनलाइन सीख कर, ऑफलाइन बना सकते हैं. यही बात शिक्षा पर भी लागू होती है. पीएम ने कहा कि दिन भर में कुछ समय खुद के लिए भी निकालें, जब आप ऑनलाइन/ऑफलाइन की बजाय “इनरलाइन” हों.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बात करते हुए पीएम ने कहा कि पहले खेल-कूद को अतिरिक्त गतिविधि माना जाता था अब यह शिक्षा का हिस्सा है. इससे खेल-कूद को नई प्रतिष्ठा मिली है. प्रधानमंत्री ने कहा कि NEP पढ़ाई के बीच में भी विषय बदलने का मौका देती है, जिसका मौका पहले नहीं मिलता था.
माता-पिता और शिक्षकों की तरफ से बच्चों पर अच्छे अंकों के लिए दबाव बनाने को गलत बताते हुए पीएम ने अभिभावकों से पीएम ने कहा कि माता-पिता अपने अधूरे सपनों, अपेक्षाओं को बच्चों पर थोपने की कोशिश करते है. शिक्षक भी अपेक्षा का बोझ लादते हैं. आगाह करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि बच्चों की रुचि समझे बिना उन पर दबाव डालने से बच्चे लडख़ड़ा जाते हैं. हर बच्चे में खासियत होती है. उसकी ताकत और सपने आप नहीं समझते तो यह आपकी कमी है.
पीएम से जब मोटिवेशन को लेकर सवाल पूछा गया तो पीएम ने कहा, मोटिवेशन का इंजेक्शन नहीं होता. जीवन का सबक देते हुए पीएम ने कहा कि खुद को जानें. ध्यान दें कि किन बातों से निराशा होती है? किन बातों से प्रेरित होते हैं? सहानुभूति लेने से बचें. इससे कमजोरी आएगी.
स्मरणशक्ति को लेकर पूछे गए सवाल पर पीएम ने ध्यान की अहमियत समझाते हुए कहा कि यह कोई बड़ा विज्ञान नहीं है ना ही इसके लिए हिमालय जाने की जरूरत है. ध्यान बेहद सहज है, बस वर्तमान में जीने की कोशिश कीजिए. जो वर्तमान में जीता है उसके भविष्य पर सवाल नहीं उठते. इसका सीधा संबंध स्मरणशक्ति से है. पीएम ने कहा कि मन स्थिर रखिए, स्मरण होना शुरू हो जाएगा.
अलग-अलग परीक्षाओं के कारण होने वाली परेशानी को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा परीक्षा के लिए ना पढ़ें. खुद को योग्य और शिक्षित बनाने के लिए पढ़ें. जैसे, खिलाड़ी खेल में पारंगत होता है चाहे जिस स्तर पर खेले. प्रतियोगिता का महत्व बताते हुए पीएम ने कहा कि प्रतियोगिता जीवन की सबसे बड़ी सौगात है. इसके बिना जीवन मे कोई मतलब नहीं. प्रतियोगिता को अवसर बनाना चाहिए. प्रयोग करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर रिस्क भी लेना चाहिए.
‘बेटा-बेटी एक समान’ का संदेश देते हुए पीएम ने कहा कि दसवीं, बारहवीं की परीक्षा में लड़कियां बाजी मारती हैं. खेल, विज्ञान में लड़कियां आगे हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर लड़कियों का दबदबा है. सुरक्षा क्षेत्र में भी लड़कियां आगे नजर आ रही हैं. पीएम ने कहा, एक समान अवसर में बेटा 19 करेगा तो बेटी 20!
कार्यक्रम के अंत में पीएम मोदी ने छात्रों को स्वच्छता अभियान और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल रोकने की अपील की. पीएम ने कहा P3 यानी Pro Planet People आंदोलन चलाने की जरूरत है. पीएम ने बच्चों से कहा कि अभी से 2047 यानी आजादी की शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखें. अपने कर्तव्यों को निभाएं.
पीएम ने बच्चों से पूछा कि क्या सबको कोरोना का टीका लग गया है? बच्चों ने ‘हां’ में जवाब दिया तो पीएम ने कहा कि बच्चों ने अपना कर्तव्य निभाया है.

अंत में संचालन करने वाले बच्चों की तारीफ करते हुए पीएम ने अपील की कि गुणों के पुजारी बनिए. अच्छी चीजों को गौर करें और खुद में ढालने की कोशिश करें. इससे मन में ईर्ष्या, प्रतिशोध नहीं पनपेगा. कार्यक्रम से पहले पीएम ने स्टेडियम में ही बच्चों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का मुआयना किया और अंत में दिव्यांग बच्चों से मिले.
कार्यक्रम को लेकर बच्चे पहले से ही उत्साहित थे, बाद में उन्होंने कहा कि अनुभव बेमिसाल था. तालकटोरा स्टेडियम में एक हजार बच्चों के अलावा देश भर में अलग-अलग जगहों से बच्चे इस कार्यक्रम से जुड़े. बच्चों के अलावा अभिभावक और शिक्षक भी कार्यक्रम में मौजूद रहे.
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