Opposition INDIA : लालू-नीतीश बिहार लौटकर करेंगे यह फैसला; मुंबई की बैठक में पूरा फॉर्मूला नहीं होगा फाइनल


सीएम नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की फाइल फोटो।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार कह चुके हैं कि केंद्र की भाजपा सरकार समय से पहले लोकसभा चुनाव करा सकती है। लेकिन, क्या इस आधार पर भाजपा-विरोधी इंडिया गठबंधन की तीसरी और निर्णायक मुंबई बैठक में बिहार की सीटों को लेकर बंटवारे का फॉर्मूला फाइनल हो जाएगा? राजनीतिक विश्लेषक इसकी उम्मीद नहीं के बराबर मान रहे हैं। क्यों, उसके पीछे कई कारण हैं। साफ बात यही कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार लौटने के बाद इत्मिनान से बैठकर सीट शेयरिंग को फाइनल करेंगे।

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लेकिन, दो बात तो फाइनल है फिलहाल

सिर्फ दो ही बात तय मानी जा रही है और वह यह कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में रहते हुए जिन 16 सीटों पर जनता दल यूनाईटेड (JDU) के सांसद जीते थे, जदयू उन सीटों को अपने पास ही रखेगी। दूसरी यह कि जैसे एनडीए में जदयू-भाजपा ने बराबर सीटें बांटी थीं, उसी तरह यहां राजद-जदयू में बराबर सीटें रखी जाएं। भाजपा-जदयू जब साथ थे तो 17-17 सीटें इन दोनों ने अपने पास रखी थी। भाजपा ने सभी 17 पर जीत हासिल की थी, जबकि जदयू को एक सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। एनडीए गठबंधन ने 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब बाकी छह सीटें लोक जनशक्ति पार्टी को मिली थीं और उसके भी सारे प्रत्याशी मोदी लहर में निकल गए थे। 

आप के कारण खड़ी होगी यह परेशानी

विपक्षी I.N.D.I.A.गठबंधन की मुंबई में होने वाली बैठक से पहले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने लोकसभा चुनाव में बिहार से एंट्री की बात कही थी, जिसके जवाब में राजद ने नैतिक फैसले की याद दिलाई थी। राजद के अनुसार विपक्षी एकता के लिए हुई बैठकों में तय हो गया था कि जिस दल का जहां प्रभाव है, वह अपने ही राज्य पर फोकस करे। आप को यह सीख तो दी गई, लेकिन इधर जदयू ने दिल्ली, पंजाब समेत 18 राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों की अपडेट सूची जारी कर दी थी। ऐसे में आप को बिहार में प्रवेश से रोकना आसान नहीं होगा। आप का यहां आधार नहीं है, लेकिन वह किसी शहरी सीट पर दावेदारी कर सकता है। शहरी सीटों पर भाजपा का प्रभाव रहता है, लेकिन अगर आप की जिद रही तो राजद-जदयू मजबूरीवश उसे एक शहरी सीट पर लड़ने का मौका दे सकते हैं। 

अभी सीट शेयरिंग पक्का नहीं होने की और भी वजह

बिहार में जदयू ने भागलपुर, बांका, मधेपुरा, कटिहार, सीवान, गोपालगंज आदि सीटें जीत रखी हैं, जबकि इसपर महागठबंधन के दूसरे दलों की प्रभावी नजर है। इसी तरह, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, खगड़िया, समस्तीपुर जैसी सीटों पर दोनों प्रमुख दलों के बीच भी गहरा मतभेद है। सिर्फ पक्की सीटों को लेकर बात करें तो कांग्रेस ने किशनगंज, औरंगाबाद और सासाराम पर अपना नाम फाइनल रखा है। बाकी दो सीटों के लिए वह जोर-आजमाइश में है। सीपीआई के टिकट पर कन्हैया कुमार भाजपा के गिरिराज सिंह से करारी हार झेल चुके हैं। कन्हैया अब कांग्रेस में हैं, लेकिन सीपीआई की बेगूसराय पर दावेदारी कायम है। उसे अब भी लग रहा है कि यह लेनिनग्राद ही है। आरा सीट पर माले का प्रभाव पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी दिखा था, इसलिए यह सीट इसके नाम पर मान ली गई है।



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