Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की एक बेंच ने शादी का झांसा देकर बलात्कार के आरोप के मामले में फैसला सुनाया है. जिसमें हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी महिला के लिए एक साल से ज्यादा का वक्त ये समझने के लिए काफी है कि क्या आरोपी की तरफ से किया गया शादी का वादा झूठा है या नहीं. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ दायर एफआईआर और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया.
हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणीलाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल की बेंच ने इस दौरन कहा कि आरोपी के साथ महिला का, जो तीन बच्चों की मां है, पिछले लंबे समय से शारीरिक संबंध रहा है. वो खुद अपनी मर्जी से उसके साथ गई. इसीलिए ये नहीं कहा जा सकता है कि इतने लंबे समय तक शादी के वादे के चलते वो ऐसा कर रही थी.
आरोपी शख्स को राहतकोर्ट ने आरोपी शख्स को राहत देते हुए कहा कि जब महिला लगातार शादी के लिए कह रही थी और शख्स उसे मानने के लिए तैयार नहीं था तो एफआईआर दर्ज होने तक कोई महिला ने उसके साथ संबंध रखना जारी क्यों रखा? कोर्ट ने माना कि ये शादी का वादा तोड़ने का मामला है, लेकिन इसमें किसी भी तरह से ये नहीं कहा जा सकता है कि गलत धारणा से ऐसा किया गया.
क्या था पूरा मामला?दरअसल मामला साल 2021 में दर्ज किया गया. महिला ने आरोप लगाया कि 2017 में उसकी शख्स के साथ बातचीत शुरू हुई, जिसके बाद 2020 में उसने शादी करने का वादा किया. इस वादे के चलते वो जून 2020 में सेंवढा आ गई. जहां वो एक घर में रुकी और आरोपी ने उससे लगातार संबंध बनाए. महिला ने बताया कि इसके बाद शख्स ने शादी से इनकार कर दिया, बाद में वो अपने घर वापस लौट गई. लेकिन इसके बाद भी दोनों की बात होती थी. इसके बाद 2021 में आरोपी ने एक कार में उसके साथ मारपीट की, जिसके चलते उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
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