Odisha Train Accident Coromandel Express Rail Track Restoration Work Completed Railways Minister Ashwini Vaishnaw Recommends CBI Probe


Coromandel Train Accident: ओडिशा में बालासोर (Balasore) जिले के बाहानगा बाजार में भीषण रेल हादसे के बाद रविवार (4 जून) को भी मरम्मत का काम जारी रहा. पूर्वी और दक्षिण भारत को जोड़ने वाली मुख्य ट्रंक लाइन से रेलगाड़ियों के क्षतिग्रस्त डिब्बे हटा दिये गये हैं और ट्रेन सेवा बहाल करने के लिए दो रेल पटरियों को दुरुस्त कर दिया गया है. इसके साथ ही इस दुर्घटना की सीबीआई (CBI) जांच की सिफारिश भी की गई है. 
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार (4 जून) को कहा, “रेलवे बोर्ड की तरफ से अब तक मिली जानकारी के बाद इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की गई है.” उन्होंने कहा, “बालासोर दुर्घटनास्थल पर अप और डाउन दोनों रेल पटरियों की मरम्मत कर दी गई है. अप-लाइन को दुरुस्त कर दिया गया है और ओवरहेड विद्युतीकरण का काम भी शुरू हो गया है.”
मृतकों की संख्या हुई 275
रेलवे के अधिकारियों ने कहा, “रेल पटरियों का कम से कम एक हिस्सा अब ट्रेनों के परिचालन के लिए तैयार है, लेकिन बालासोर दुर्घटनास्थल पर लूप लाइन सहित सभी पटरियों को ठीक करने में अभी और समय लगेगा.” इसी बीच ओडिशा सरकार ने ट्रेन दुर्घटना में मारे गए लोगों की संख्या को रविवार को संशोधित कर 288 से 275 कर दिया और घायलों की संख्या 1,175 कर दी. राज्य के मुख्य सचिव पीके जेना ने बताया कि कुछ शवों की दो बार गिनती कर ली गई थी. 
187 शवों की पहचान की जानी बाकी
मुख्य सचिव ने कहा, “अब तक 88 शवों की पहचान की जा चुकी है और 78 शवों को उनके परिवारों को सौंप दिया गया है, जबकि 187 शवों की पहचान की जानी बाकी है. शवों की उचित पहचान सबसे बड़ी चुनौती है.” उन्होंने कहा, “डीएनए नमूने लिये जाएंगे और मृतकों की तस्वीरें सरकारी वेबसाइट पर अपलोड की जाएंगी. एनडीआरएफ की नौ टीमें, ओडीआरएएफ की पांच इकाइयां और दमकल विभाग की 24 टीम बचाव अभियान में लगी थीं, जो अब पूरा हो चुका है.” 
“बचाव कार्य पूरा हो गया”
उन्होंने कहा, “विस्तृत सत्यापन और बालासोर जिलाधिकारी की रिपोर्ट के बाद, अंतिम मृतक संख्या 275 निर्धारित की गई है.” यहां डेरा डाले हुए केंद्रीय मंत्रियों- अश्विनी वैष्णव और धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को दुर्घटनास्थल का दौरा किया. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “बचाव कार्य पूरा हो गया है. हम हादसे में प्रभावित हुए लोगों को उनके घर भेजने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. मंगलवार तक यह काम संभवत: हो जाएगा.” 
“हादसे के असल कारण का पता लगाया”
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि दुर्घटना के असल कारण का पता लगा लिया गया है. वैष्णव ने कहा, “हादसे का कारण रही इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में जो बदलाव किया गया था, उसका पता लगा लिया गया है. टक्कर-रोधी प्रणाली ‘कवच’ से कोई लेना-देना नहीं है. दुर्घटना की जांच पूरी हो चुकी है और जैसे ही रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे, सभी विवरण पता चल जाएगा.” 
वहीं रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, “हमारी टीम चौबीसों घंटे काम कर रही है. पटरियों की मरम्मत का काम जारी है. हम ओवरहेड केबल और खंभों को दुरूस्त करने का भी काम कर रहे हैं, जो उखड़ गए थे.” अधिकारियों ने बताया कि पटरियों से हटाए गए यात्री डिब्बों की गहन तलाशी ली जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि क्षतिग्रस्त डिब्बों के स्टील के पुर्जों में कोई शव फंसा न रह गया हो. 
सबसे भीषण रेल दुर्घटनाओं में से एक
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि रेलगाड़ियों के टकराने से पलटे सभी 21 डिब्बों को परिचालन सेवा से हटा दिया गया है और अब घटनास्थल को साफ किया जा रहा है. हादसे के बाद से महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के बीच यात्रियों का आवागमन और माल ढुलाई बाधित हो गई है. इस हादसे को भारत की अब तक की सबसे भीषण रेल दुर्घटनाओं में से एक बताया जा रहा है. बालासोर और अन्य स्थानीय अस्पतालों में शुरू में भर्ती किए गए कई मरीजों को छुट्टी दे दी गई है या उन्हें कटक, भुवनेश्वर और कोलकाता सहित मल्टी-स्पेशलिटी अस्पतालों में भेज दिया गया है. 
शुक्रवार शाम को हई थी दुर्घटना
अस्पतालों के प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर शवों को भी भुवनेश्वर भेज दिया गया है. कोरोमंडल एक्सप्रेस शुक्रवार (2 जून) शाम करीब सात बजे लूप लाइन पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिससे इसके (कोरोमंडल एक्सप्रेस के) अधिकतर डिब्बे पटरी से उतर गए. कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे उसी समय वहां से गुजर रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों पर पलट गए थे. 
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