Odisha Chief Minister Naveen Patnaik Sister Gita Mehta Death PM Narendra Modi Tweet


Gita Mehta Death: मशहूर लेखिका और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बड़ी बहन गीता मेहता का निधन हो गया है. गीता मेहता का वृद्धावस्था के रोगों के चलते शनिवार को दिल्ली स्थित उनके आवास पर निधन हुआ. वह 80 साल की थीं. उनके परिवार में उनका एक बेटा है. उनके पति एवं प्रकाशक सोनी मेहता का पहले ही निधन हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर दुख जताया है और परिवार के साथ अपनी संवेदनाएं प्रकट की हैं.
पीएम मोदी ने उनके निधन पर दुख जताते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, ‘मैं प्रख्यात लेखिका गीता मेहता जी के निधन से दुखी हूं. वह बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं. उन्हें उनकी बुद्धिमता और फिल्म मेकिंग के साथ ही लेखन के प्रति जुनून के लिए जाना जाता था. वह प्रकृति और जल संरक्षण के प्रति भी जुनूनी थीं. दुख की इस घड़ी में नवीन पटनायक और पूरे परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं.’ ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल ने भी गीता मेहता के निधन पर शोक जताया है.
नवीन पटनायक के करीब थीं गीता 
मशहूर लेखिका होने के अलावा गीता मेहता डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर और पत्रकार भी थीं. वह मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और कारोबारी प्रेम पटनायक की बड़ी बहन थीं. उनका जन्म 1943 में दिल्ली में बीजू पटनायक और ज्ञान पटनायक के घर हुआ था. उन्होंने भारत के साथ-साथ ब्रिटेन से भी पढ़ाई की थी. वह ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ी हुई थीं. सूत्रों ने बताया कि गीता अपने छोटे भाई नवीन पटनायक के काफी करीब थीं. 
जब पद्मश्री लेने से किया इनकार
गीता मेहता आखिरी बार तब खबरों में आई थीं, जब उन्होंने 2019 में राजनीतिक कारणों से पद्मश्री लेने से इनकार कर दिया था. लेखिका के रूप में वह अपने छोटे भाई नवीन पटनायक के ओडिशा के मुख्यमंत्री बनने से पहले ही मशहूर हो गई थीं.  गीता मेहता ने 1970-71 में अमेरिकी टेलीविजन नेटवर्क एनबीसी के लिए तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध संवाददाता के रूप में काम किया था. उन्‍होंने डॉक्यूमेंट्री ‘डेटलाइन बांग्लादेश’ भी बनाई थी. हालांकि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क के लिए 14 टेलीविजन डॉक्यूमेंट्री बनाई. 
इन उपन्यासों ने बनाया चर्चित लेखिका
गीता मेहता को उनके पहले उपन्यास, ‘कर्मा कोला’ (1979) के लिए अधिक जाना गया, जिसमें पश्चिमी ‘तीर्थयात्रियों’ की कहानी बताई गई थी, जो मोक्ष की तलाश में भारत में आए थे, जिसके बाद कम प्रसिद्ध ‘राज’ (1989) आई थी. उनकी लघु कथाओं का संकलन, ‘नदी सूत्र’ (1993) और देश की स्वर्ण जयंती के अवसर पर तीक्ष्ण निबंधों का संग्रह, ‘सांप और सीढ़ी: आधुनिक भारत की झलक’ (1997) प्रकाशित है.
(इनपुट-आईएएनएस से)
यह भी पढ़ें: ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’, पर क्या है नवीन पटनायक की पार्टी BJD का रुख?



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