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Monsoon In India: दक्षिण-पश्चिम मानसून ने गुरुवार (30 मई, 2024) को केरल और पूर्वोत्तर क्षेत्र में समय से पहले दस्तक दे दी. केरल और पूर्वोत्तर में मानसून का एक साथ पहुंचना बहुत कम देखने को मिलता है. ऐसे में इसे काफी शॉकिंग और असामान्य माना जाता है. 
केरल और पूर्वोत्तर में मानसून का एक साथ आगमन इससे पहले सिर्फ चार बार हुआ है. ऐसा 2017, 1997, 1995 और 1991 में हुआ है. दरअसल, मौसम विभाग ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने पूरे नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा, मेघालय और असम के कुछ हिस्सों समेत पूर्वोत्तर क्षेत्र के अधिकांश भागों में दस्तक दे दी है. 
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 15 मई को 31 मई तक केरल में मानसून के आगमन की घोषणा की थी, लेकिन ये 30 मई को ही पहुंच गया. मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से गुजरे चक्रवात रेमल ने मानसून के प्रवाह को बंगाल की खाड़ी की ओर खींच लिया है, जो पूर्वोत्तर में मानसून के जल्दी पहुंचने का एक कारण है.
केरल में किस समय इससे पहले मानसून का आगमन हुआ है? साल 1971 और 2024 के बीच, केरल में मानसून का सबसे पहले आगमन 1990 में हुआ था और उस साल 18 मई को राज्य में मानसून की शुरुआत हुई थी. केरल में मानसून का आगमन 1999 में 22 मई को, 1974 और 2009 में 23 मई को हुआ था. 
केरल में मानसून पहुंचने की सामान्य तारीख क्या है? केरल में मानसून के आगमन की सामान्य तिथि एक जून है. वहीं अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और असम में मानसून के आगमन की तिथि पांच जून है. 
मानसून क्यों जरूरी है? भारत के कृषि परिदृश्य के लिए मानसून बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुल खेती योग्य भूमि का 52 प्रतिशत हिस्सा इस पर निर्भर है. यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पेयजल के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है. 
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