Kashmir Agricultural University Is Inviting Foreign Students On A Large Scale Union Government Supports New Initiative ANN


kashmir Agricultural University: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद से हालात सुधार की तरफ हैं. इसका एक बड़ा नमूना जम्मू-कश्मीर की शेर-ए-कश्मीर कृषि और विज्ञान-प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी की विदेशी छात्रों को आमंत्रित करने की कवायद है. सूबे के इस बड़े विश्वविद्यालय ने विदेशी राजनयिकों के सामने बेहतर शिक्षा और किफायती लागत के साथ अच्छी सुविधाओं को शो-केस करते हुए अधिक छात्रों को जम्मू-कश्मीर भेजने का आग्रह किया.
इस अवसर पर मौजूद जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पिछले 30 सालों में जम्मू कश्मीर ने बहुत खराब दौर देखा है. हमारे पड़ोसी मुल्क से प्रायोजित आतंकवाद के कारण, लेकिन अब स्थिति बेहतरी की ओर है. पत्थरबाजी और हड़तालें अतीत की बात बन गई हैं. स्कूल और मॉल काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि दुनिया के अलग-अलग देशों से छात्र आएं और इस यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम का लाभ लें और कश्मीर की समृद्ध विरासत को देखें.”
‘…सामूहिक प्रयास की जरूरत है’
इस मौक़े पर मौजूद विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि इस तरह पहली बार कोई विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों का आमंत्रित करने का प्रयास कर रहा है. इस कोशिश का विदेश मंत्रालय पूरा समर्थन करता है. विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया के सामने कोई बड़ी चुनौती है तो वो खाद्य सुरक्षा है. यूक्रेन युद्ध ने इस समस्या को और गहरा कर हमारे सामने खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस वैश्विक चुनौती से मुकाबले के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है. इसके लिए अधिक से अधिक देशों के छात्र अगर भारत के शेर-ए-कश्मीर कृषि तथा विज्ञान-प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में आते हैं तो इन कोशिशों को अधिक मजबूती मिलेगी.
खाद्य सुरक्षा पर क्या बोले एस जयशंकर?
विदेश मंत्री ने साल 2023 को मोटे अनाज के वर्ष के तौर पर मनाने के भारत के फैसले को भी अहम और दूरगामी प्रभाव वाला करार दिया. डॉ. जयशंकर ने कहा कि इस साल G20 शिखर सम्मेलन से हम ये संदेश देना चाहते हैं कि खाद्य सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि सभी देश मिलकर प्रयास करें, क्योंकि सदियों से हम मोटे अनाज का उत्पादन करते आए हैं. इसके लिए नए सिरे से प्रयास करने की जरूरत है.
‘यह बहुत सराहनीय है’
कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कश्मीर को यूं ही भारत का सिरमौर नहीं कहा जाता, बल्कि शारदा पीठ जैसे प्राचीन शिक्षा संस्थान का स्थान कहलाने वाला यह सूबा बड़ी संख्या में विदेशी छात्रों को भी आकर्षित करने की पहल कर रहा है. यह बहुत सराहनीय है.
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