Ground Penetrating Radar In Gyanvapi Survey How ASI Will Use GPR


Gyanvapi Case: वाराणसी ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार (3 अगस्त, 2023) को हरी झंडी दे दी. 21 जुलाई को सर्वे की अनुमति के जिला अदालत के फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सर्वे पर दो दिन की अंतरिम रोक लगा दी गई. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील करने को कहा था.
हाईकोर्ट के फैसले के बाद उम्मीद है कि जल्द ही सर्वे शुरू कर दिया जाएगा.  हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि सर्वे को किसी भी स्टेज पर शुरू किया जा सकता है. इससे पहले जिला अदालत ने आर्कियोलॉजिकल ऑफ इंडिया (ASI) को साइंटिफिक सर्वे के जरिए यह पता लगाने के निर्देश दिए थे कि क्या परिसर में मौजूद ढांचे को हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया है. आइए जानते हैं सर्वे में क्या किया जा सकता है-
एएसआई ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार या जियो रेडियोलॉजी सिस्टम या दोनों से सर्वेक्षणजिला अदालत के जज अजय कृष्णा विश्वेश ने अपने आदेश में एएसआई को ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) का इस्तेमाल कर इमारत के नीचे स्थित तीनों गुंबदों का सर्वेक्षण करने को कहा था और अगर जरूरत हो तो खुदाई भी कर सकते हैं. विवादित वजूखाने को सर्वे में शामिल नहीं किया गया है. पिछले साल विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस एरिया को सील कर दिया था. हिंदू पक्ष ने यहां ‘शिवलिंग’ और मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा होने का दावा किया था.
जीपीआर टेक्नीक क्या होती हैआईआईटी के प्रोफेसर जावेद मलिक, जो आर्कियोलॉजिकल खोज अभियानों का हिस्सा भी रह चुके हैं ने बताया कि जीपीआर के मदद से किसी वस्तु या ढांचे को छुए बगैर ही उसके नीचे मौजूद कंक्रीट, केबल, धातु, पाइप या अन्य वस्तुओं की पहचान की जा सकती है. उन्होंने बताया कि इस टेक्नीक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के जरिए जो सिग्नल मिलते हैं, वे मिट्टी के नीचे मौजूद ढांचे या वस्तु के आकार और प्रकार की जानकारी देते हैं.
प्रोफेसर जावेद ने बताया कि इस प्रक्रिया में 8 दिन का समय लगता है और ज्ञानवापी में जब जीपीआर के जरिए सर्वे किया जाएगा तो टीम उपकरण की मदद से 8 से 10 मीटर तक वस्तु का पता लगा सकेगी और इनकी 2D एवं 3D प्रोफाइल्स की जाएंगी. पुरानी इमारतों और खंडहरों के सर्वे में GPR और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है.
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इसके अलावा, टीम अतीत की मानवीय गतिविधियों के साक्ष्य की तलाश करेगी और दीवारों, नींव, कलाकृतियां, मिट्टी में रंग परिवर्तन की भी जांच की जाएगी. एएसआई की एक टीम आगे और पीछे सीधी रेखाओं में चलकर पता लगाएगी कि दीवार या नींव में क्या दबा है और मिट्टी का रंग कैसा है, कलाकृतियां कैसी हैं और क्या इनमें कोई बदलाव हुआ है.



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