G20 Summit 2023 India New Delhi G20 Leaders Summit Declaration Highlights Russia Ukraine War Terrorism


New Delhi G20 Leaders Summit Declaration: जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन शनिवार (9 सितंबर) को नई दिल्ली जी-20 साझा घोषणापत्र को अपनाने की घोषणा की गई. पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि सदस्य देशों के बीच सहमति के साथ जी-20 ने नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन को अपनाया है.
भारत ने कहा कि नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेयरेशन ‘ग्लोबल साउथ’ (वैश्विक दक्षिण) और विकासशील देशों की आवाज बनेगा. ग्लोबल साउथ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है.
आपको बताते हैं 37 पन्नों के नई दिल्ली डिक्लेरेशन की बड़ी बातें- 

नई दिल्ली घोषणापत्र में कहा गया कि हमारे पास बेहतर भविष्य बनाने का अवसर है, ऐसे हालात नहीं बनने चाहिए कि किसी भी देश को गरीबी से लड़ने और ग्रह के लिए लड़ने के बीच चयन करना पड़े. 
हम लैंगिक अंतर को कम करने, निर्णय लेने वालों के रूप में अर्थव्यवस्था में महिलाओं की पूर्ण, समान, प्रभावी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. 
जी20 सदस्यों ने व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने और लागत कम करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ काम करने का संकल्प लिया.
यूक्रेन जंग पर कहा कि हमने यूएनएससी और यूएनजीए में अपनाए गए देश के रुख और प्रस्तावों को दोहराया. सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप, सभी राज्यों को किसी भी राज्य की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ क्षेत्रीय अधिग्रहण की धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिए. परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या धमकी देना अस्वीकार्य है. 
जी-20 घोषणापत्र में कहा गया है कि यूक्रेन संघर्ष ने देशों, विशेष रूप से विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए नीतियों पर जटिलता उत्पन्न कर दी है. 
सभी देशों को किसी देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ उसके भू-भाग पर कब्जे के लिए बल के इस्तेमाल या धमकी देने से बचना चाहिए. 
आज का युग युद्ध का युग नहीं है और इसी के मद्देनजर घोषणापत्र में सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान किया गया.
ये मानते हुए कि जी-20 भू-राजनीतिक मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है, घोषणापत्र में स्वीकार किया गया है कि इन मुद्दों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है. 
हम एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से जुड़े खतरों को ध्यान में रखते हुए नवोन्मेष समर्थक नियमन/शासन नजरिये को अपनाएंगे, जिससे उसका अधिकतम लाभ हासिल किया जा सके. 
हम संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले इस्तांबुल समझौते और तुर्किये के प्रयासों की सराहना करते हैं. इसमें रूसी संघ और यूक्रेन से अनाज, खाद्य पदार्थों और उर्वरकों की तत्काल और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया. 
इसमें कहा गया है कि विकासशील और अल्प विकसित देशों, विशेषकर अफ्रीका में, मांग को पूरा करने के लिए यह जरूरी है. खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए जी20 नेताओं ने प्रासंगिक बुनियादी ढांचे पर सैन्य कार्रवाई या अन्य हमलों को रोकने का आह्वान किया. 
संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान और संकटों से निपटने के प्रयासों के साथ-साथ कूटनीति और संवाद महत्वपूर्ण हैं. हम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर युद्ध के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए एकजुट होकर प्रयास करेंगे और यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत तथा शांति का स्थायी माहौल बनाने संबंधी सभी प्रासंगिक और रचनात्मक कदमों का स्वागत करेंगे. 
ऐसे उपायों से संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सभी उद्देश्य और सिद्धांत कायम रहेंगे तथा ‘एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब, एक भविष्य’ की भावना के साथ राष्ट्रों के बीच शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और बेहतर संबंधों को बढ़ावा मिलेगा.
जी-20 ने अपने नेताओं के घोषणापत्र में चन्द्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए भारत को बधाई दी. 
इसमें कहा गया कि हम गहरी चिंता के साथ कह रहे कि अत्यधिक मानवीय पीड़ा हुई है और युद्धों एवं संघर्ष का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. 
किसी भी जगह, किसी भी रूप में, किसी भी तरह के आतंकवादी कृत्य को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता. प्रभावी आतंकवाद रोधी उपाय, पीड़ितों के लिए समर्थन, मानवाधिकारों की रक्षा परस्पर विरोधी लक्ष्य नहीं, बल्कि पूरक हैं
जी-20 सदस्यों ने विकासशील देशों में निवेश योग्य परियोजनाओं की कार्ययोजना शुरू करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ काम करने का संकल्प लिया.

क्यों कहा जा रहा बड़ी कामयाबी?
नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन को अपनाया जाना यूक्रेन संघर्ष पर बढ़ते तनाव और अलग-अलग विचारों के बीच भारत की जी-20 अध्यक्षता में ये एक महत्वपूर्ण कामयाबी है. जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा सहित अन्य नेता भाग ले रहे हैं.
राजनयिक सूत्रों के अनुसार, यूक्रेन संघर्ष से संबंधित पैराग्राफ पर आम सहमति नहीं होने के कारण, भारत ने शुक्रवार को सकारात्मक परिणाम निकालने के प्रयास में भू-राजनीतिक मुद्दे पर पैराग्राफ के बिना सदस्य देशों के बीच शिखर सम्मेलन का एक मसौदा घोषणापत्र बांटा था. सफलता की सराहना करते हुए भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में कहा कि सभी विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर शत-प्रतिशत सर्वसम्मति के साथ जी-20 घोषणापत्र ऐतिहासिक और पथप्रदर्शक है. 
शेरपा की बैठक में यूक्रेन मुद्दे पर नहीं थी सहमति
उन्होंने कहा कि नए भू-राजनीतिक पैराग्राफ आज की दुनिया में लोगों, शांति और समृद्धि के लिए एक मजबूत आह्वान है. ये आज की दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को प्रदर्शित करता है. ऐसा समझा जाता है कि जी-20 देश यूक्रेन संघर्ष का वर्णन करने के लिए उस नए पाठ पर सहमत हुए जिसे आज सुबह भारत ने बांटा था. तीन-छह सितंबर तक हरियाणा के नूंह जिले में जी-20 शेरपा की बैठक में यूक्रेन मुद्दे का वर्णन करने वाले पाठ पर कोई सहमति नहीं बनी थी.
जी-20 सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत कार्य करता है. रूस और चीन दोनों बाली घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष को लेकर दो पैराग्राफ पर सहमत हुए थे, लेकिन इस साल वे इससे पीछे हट गए जिससे भारत के लिए मुश्किलें पैदा हो गईं. वित्त और विदेश मंत्रियों सहित भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत आयोजित लगभग सभी प्रमुख बैठकों में यूक्रेन संघर्ष से संबंधित किसी भी पाठ पर रूस और चीन के विरोध के कारण आम सहमति वाले दस्तावेज जारी नहीं किए जा सके. 
(इनपुट पीटीआई से भी)
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