Fake Encounter | Fake Encounter: ‘फर्जी मुठभेड़ में हुई मौतें नृशंस हत्याओं के अलावा और कुछ नहीं’, पूर्व आईपीएस अमोद कंठ


Cold Blooded Murder: पूर्व आईपीएस अधिकारी (IPS) अमोद कंठ का कहना है कि गैर-न्यायिक हत्याएं या फर्जी मुठभेड़ में हुई मौतें नृशंस हत्याओं के अलावा और कुछ नहीं हैं. इसके बारे में वास्तविक या कथित अराजकता से संबंधित समस्याओं से पीड़ित समाज या समुदाय में चाहे जो भी लोकप्रिय राय बनाई गई हो.
अमोद कंठ ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली के इतिहास में न्यायेत्तर हत्याओं या फर्जी मुठभेड़ों के परिणामस्वरूप कथित अपराधियों की मौत पर चर्चा करने के लिए इससे ज्यादा उपयुक्त कोई समय नहीं हो सकता.
खाकी ऑन ब्रोकेन विंग्स का दूसरा पार्ट
हाल ही में अमोद कंठ की ‘पुलिस डायरीज’ सीरीज ‘खाकी ऑन ब्रोकेन विंग्स’ का दूसरा पार्ट आया है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय सुर्खियां बने कुछ सबसे अधिक सनसनीखेज और जघन्य अपराधों का खुलासा किया है. कंठ ने कहा कि दशकों से पुलिस ने तथाकथित न्याय देने के लिए इस ‘शार्टकट’ का इस्तेमाल किया है. 
उन्होंने कहा, “ऐसी हत्याएं या फर्जी मुठभेड़-मौतें और कुछ नहीं बल्कि सुनियोजित हत्याएं हैं, भले ही वास्तविक या कथित अराजकता से जुड़ी समस्याओं से प्रभावित समाज या समुदाय के बीच लोकप्रिय मत चाहे जो भी हो.”
माफिया रोमेश शर्मा की कहानीखाकी ऑन ब्रोकेन विंग्स को ब्लूम्सबेरी इंडिया ने पब्लिश किया है, जिसमें कंठ ने आपराधिक न्याय प्रणाली की खामियों की चर्चा की है. उन्होंने अपराध की जो कहानियां उल्लेखित की हैं, उनमें एक माफिया रोमेश शर्मा की कहानी भी शामिल है. उनके अनुसार रोमेश शर्मा करोड़ों की संपत्ति हड़पने के लिए पीड़ित लोगों को डराता था और राजनीति और कॉरपोरेट दुनिया में प्रभावशाली लोगों तक अपनी पहुंच का इस्तेमाल करते हुए जांच प्रभावित करता था.
जेसिका लाल हत्याकांड का जिक्रउन्होंने ‘बिकनी किलर’ चार्ल्स शोभराज के दिल्ली के तिहाड़ जेल से फरार होने, कई लोगों की जान ले लेने वाले ‘बीएमडब्ल्यू हिट एंड रन’ मामले और जेसिका लाल हत्याकांड में इंसाफ की लड़ाई की जटिल कहानी का भी जिक्र किया है.
अमोद कंठ का कहना है कि सुरक्षा, कानून व्यवस्था और अपराध नियंत्रण को बनाए रखने की जो भी बाध्यता हो लेकिन पुलिस और न्यायिक मशीनरी को निर्धारित कानूनी प्रक्रिया से परे जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
उन्होंने कहा, “किसी को, भले ही वह दुर्दांत और अतिवांछित अपराधी ही क्यों न हो, तब मार देना जब वह पुलिस या न्यायिक हिरासत या तर्कसंगत नियंत्रण में हो, हत्या या गैर इरादतन हत्या ही होगा.”
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