Cyclone Biparjoy Weakening In Gujarat Moves Towards South Rajasthan Now Govt Faces These Challenges


Cyclone Biparjoy Update: चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र से टकराने के बाद कुछ कमजोर पड़ गया है. गुजरात के तटीय इलाकों में पहुंचने के कुछ घंटों बाद बिपरजॉय की तीव्रता कम होकर ‘बेहद गंभीर’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में आ गई. साथ ही इसके कम दबाव के क्षेत्र में तब्दील होने का अनुमान भी जताया गया. कमजोर पड़ने के बाद यह चक्रवात दक्षिण राजस्थान की ओर बढ़ गया है. 
चक्रवात की वजह से गुजरात के करीब एक हजार गांवों की बिजली आपूर्ती प्रभावित हुई है. राज्य सरकार के सामने गांवों की बिजली आपूर्ति बहाल करने और सड़कों पर गिरे पेड़ों को हटाने की तत्काल चुनौती है.
उत्तर गुजरात में भारी बारिश का अनुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने उत्तर गुजरात में भारी बारिश होने का अनुमान जताया है. एक प्रेस रिलीज में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के हवाले से बताया गया कि अग्रिम योजनाएं और एक लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने से किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई.
इसमें कहा गया कि बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए कच्छ, देवभूमि द्वारका, जामनगर, मोरबी, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, राजकोट और पोरबंदर जिलों में 1,127 टीम काम कर रही हैं. वहीं, वन विभाग ने सड़कों पर गिरे 581 पेड़ों को हटा दिया है.
बिपरजॉय की वजह से नहीं गई किसी की जान- राज्य राहत आयुक्त
इससे पहले राज्य राहत आयुक्त आलोक कुमार पांडे ने मीडिया से कहा, ‘‘चक्रवाती तूफान बिपरजॉय से राज्य में किसी व्यक्ति की जान जाने की सूचना नहीं है. यह राज्य के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है. यह हमारे सम्मलित प्रयासों से संभव हो सका.’’
प्रेस रिलीज में कहा गया है कि तटीय क्षेत्रों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए 1,09,000 लोगों में 10,918 बच्चे, 5,070 वरिष्ठ नागरिक और 1,152 गर्भवती महिलाएं थीं.
‘बिपरजॉय’ के कारण तेज हवाएं चलने और भारी बारिश होने से गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र के इलाकों में बिजली के सैकड़ों खंभे क्षतिग्रस्त हो गए. बता दें कि बिपरजॉय का बांग्ला भाषा में अर्थ ‘आपदा’ होता है.
140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाएं
इससे पहले चक्रवाती तूफान के जखौ बंदरगाह के पास पहुंचने की प्रक्रिया गुरुवार (15 जून) शाम करीब साढ़े छह बजे शुरू हुई थी और शुक्रवार को तड़के 2:30 बजे तक चली. इस दौरान पूरे कच्छ जिले में भारी बारिश हुई. चक्रवात के कारण 140 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से हवाएं चलीं और भारी बारिश से बड़ी संख्या में पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए और समुद्र का पानी निचले इलाके के गांवों में भर गया.
बिजली कंपनी को भारी नुकसान
राज्य राहत आयुक्त ने कहा कि तूफान से गुजरात की बिजली कंपनी ‘पश्चिम गुजरात विज कंपनी लिमिटेड’ को भारी नुकसान हुआ है और बिजली के 5,120 खंभे क्षतिग्रस्त हो गए. उन्होंने कहा कि कम से कम 4,600 गांवों में बिजली नहीं थी लेकिन 3,580 गांवों में बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है.
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र ने नुकसान के बारे में ये कहा
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र ने कहा कि चक्रवात के कारण कच्छ के साथ ही देवभूमि द्वारका, जामनगर, राजकोट और मोरबी जिलों के कई हिस्सों में शुक्रवार (16 जून) को बहुत भारी बारिश (100-185 मिमी) हुई. इसके साथ ही 95 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलीं. अधिकारियों ने बताया कि चक्रवाती तूफान से जुड़ी घटनाओं में कम से कम 23 लोग घायल हो गए. वहीं, कई मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं.
तेज बारिश के बीच भावनगर में गुरुवार को एक उफनते नाले में फंसी अपनी बकरियों को बचाते समय एक व्यक्ति और उसके बेटे की मौत हो गई, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चूंकि जिले में चक्रवाती तूफान का असर नहीं था, इसलिए इन मौतों की गणना चक्रवात से जुड़ी घटनाओं में नहीं की गई.
उन्होंने कहा, ‘‘टूट-फूट और पेड़ गिरने के करण तीन राज्य राजमार्गों को बंद कर दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार कुल 581 पेड़ उखड़ गए हैं. नौ पक्के और 20 कच्चे घर टूट गए हैं, वहीं दो पक्के और 474 कच्चे घरों को आंशिक नुकसान हुआ है.’’ अधिकारी ने कहा कि 65 झोपड़ियां नष्ट हो गईं हैं, चक्रवात में जिन लोगों को नुकसान पहुंचा है उन्हें मुआवजा देने के लिए सरकार आदेश तैयार कर रही है.
मांडवी शहर और उसके आसपास का हाल
मांडवी के पास कचा गांव में करीब 25 कच्चे घर क्षतिग्रस्त हो गए. गांव के सरपंच राकेश गौड़ ने कहा, ”हमारे यहां कल से बिजली नहीं है. लेकिन गांव में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है.” उन्होंने कहा, ”हमारे आश्रय गृहों में हमने पिछले चार दिनों से विभिन्न गांवों के 400 लोगों को रखा है.”
मांडवी शहर में करीब 30 पेड़ और बिजली के 20 खंभे उखड़ गए. मांडवी निवासी अब्दुल हुसैन ने कहा, ”कल शाम चार बजे से हमारे यहां बिजली नहीं है. हमारे घरों के छप्पर उड़ गए और घरों में पानी भर गया.”
बनासकांठा-पाटन में अत्यधिक भारी बारिश की संभावना
चक्रवात के राज्य में आगे बढ़ने के साथ ही बनासकांठा और पाटन के जिलों के अधिकारी निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं क्योंकि भारत मौसम विज्ञान विभाग ने दो जिलों में अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा का अनुमान जताया है.
मौसम विभाग ने कहा कि कच्छ जिले के कुछ हिस्सों में अत्यधिक भारी वर्षा होगी. इसने बनासकांठा में रविवार सुबह तक और पाटन में शनिवार सुबह तक छिटपुट स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश की भी चेतावनी दी है.
एक लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया
राहत आयुक्त पांडे ने कहा कि एक लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था और यह राज्य के इतिहास में इस तरह के सबसे बड़े अभियानों में से एक था. उन्होंने कहा कि स्थिति में सुधार के साथ अब उन्हें (लोगों को) वापस भेजा जाएगा.
बनासकांठा के जिलाधिकारी वरुण बरनवाल ने कहा कि 2,500 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और निचले इलाकों से और लोगों को निकाला जा रहा है. उन्होंने कहा, ”हमने खाने के 25,000 पैकेट तैयार रखे हैं.”
इससे पहले आईएमडी ने गुजरात के शेष जिलों में शुक्रवार को भारी बारिश की संभावना जताई. इसने चेतावनी दी कि उत्तर गुजरात के जिलों में बारिश से घरों और सड़कों को नुकसान हो सकता है और पेड़ उखड़ सकते हैं.
NDRF के महानिदेशक ने ये कहा
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के महानिदेशक अतुल करवाल ने शुक्रवार को दिल्ली में मीडिया से कहा कि गुजरात में चक्रवाती तूफान बिपरजॉय के आने के बाद किसी की जान नहीं गई है. एनडीआरएफ के महानिदेशक ने कहा कि राज्य के कम से कम एक हजार गांव बिजली संकट का सामना कर रहे हैं. 40 प्रतिशत बिजली संकट अकेले कच्छ जिले में है.
राहत और बचाव कार्य के लिए गुजरात में एनडीआरएफ की 18 टीम पेड़ काटने वाली मशीनों और नौकाओं के साथ तैनात हैं. उन्होंने कहा कि चक्रवात से पैदा किसी भी हालात से निपटने के लिए मुंबई में पांच और कर्नाटक में चार टीम तैनात हैं.
चक्रवात अब दक्षिण राजस्थान की ओर बढ़ रहा है और एनडीआरएफ ने राज्य सरकार से विचार विमर्श करके एक टीम जलोर में पहले ही तैनात कर दी है क्योंकि भारी बारिश से बाढ़ आने और लोगों के फंसने का खतरा है.
यह भी पढ़ें- Monsoon Update: चक्रवात बिपरजॉय से मानसून पर कितना प्रभाव पड़ा? मौसम विभाग ने बताया



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