Bihar News : पत्नी और छह माह की मासूम को जिंदा जला दिया था, कोर्ट ने आरोपी पति समेत दो को सुनाई यह सजा


कोर्ट ने सुनाई सजा

विस्तार

दरभंगा में महिला और उसकी छह माह की मासूम की हत्या के मामले में कोर्ट ने आरोपी पति और उसके ससुर को दस साल का सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। दरभंगा व्यवहार न्यायालय के सत्र न्यायाधीश बिनोद कुमार तिवारी की कोर्ट ने यह सजा सुनाई। साथ ही कोर्ट अदालत ने मृतिका के एक जीवित दिव्यांग पुत्री के पुनर्वास के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार को मुआवजा निर्धारित कर भुगतान का निर्णय दिया है।

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बता दें कि यह मामला 9 फरवरी 2019 को सदर थाना क्षेत्र के मुरिया गांव का है। इसको लेकर मृत महिला के पिता ने सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। इसमें बताया गया था कि 21 साल की सोनी देवी और छह माह की पुत्री लक्ष्मी को जलाकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। मायके वालों ने सोनी के पति और ससुर पर हत्या का आरोप लगाया था। सोनी के पिता गोपाल महतो ने 10 फरवरी 2019 को अपने घर मधुबनी जिला के सदर थानाक्षेत्र के वार्ड नंबर एक से आकर आवेदन पत्र देकर सदर थाना भालपट्टी ओपी में प्राथमिकी दर्ज कराया था।  

पत्नी और बच्ची को जिंदा जलाने के आरोप में सजा

अभियोजन पक्ष का संचालन कर रहे एपीपी चमकलाल पंडित ने बताया कि सोनी की शादी सदर थानाक्षेत्र के भालपट्टी ओपी के मुरिया गांव में घटना से दो बर्ष पूर्व संतोष महतो के साथ हुई थी। जिससे दो संतान का जन्म हुआ था। दहेज के लिए पत्नी को प्रताड़ित कर केरोसिन छिड़ककर ब्याहता पत्नी सोनी और छः माह की अबोध पुत्री लक्ष्मी को जिन्दा जलाकर पति,ससूर और ससूराल वाले दोनों की हत्या कर घर से फरार हो गया था। 

पिता-पुत्र को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा

इस मामले का विचारण सत्रवाद सं.317/19 के तहत की गई।अदालत ने मामले की सूनवाई पूरी कर गत 8 सितंबर को पति संतोष महतो और ससूर राम विलास महतो को भादवि की धारा 304 (b) (दहेज हत्या) में दोषी घोषित करते हुए दोनों जूर्मियों को मंडलकारा भेज दिया था। मंगलवार को दोनों पिता पुत्र को दस वर्षों का सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। अदालत ने मृतिका के एक जीवित बिकलांग पुत्री के पुनर्वास के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार को मुआवजा निर्धारित कर भूगतान का निर्णय दिया है। मृतक सोनी के माता-बिंदु देवी और पिता गोपाल महतो ने रोते हुए कहा कि दहेज दानवों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए था। लेकिन जो भी सजा सुनाई गई है उससे उन्हें संतोष है। उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है।



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