CM Nitish Kumar
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बिहार के सबसे चर्चित मंत्री इस समय कौन हैं? सीधा जवाब है- प्रो. चंद्रशेखर। इसी तरह बिहार के सबसे चर्चित अफसर इस समय कौन हैं? जवाब है- के के पाठक, यानी केशव कुमार पाठक। दोनों का विवादों से चोली-दामन का साथ है। एक राम और रामायण के अस्तित्व पर सवाल के कारण, दूसरे अपनी बोली के कारण। पिछले दिनों दोनों के वीडियो खूब वायरल हुए। लेकिन, कार्रवाई दोनों में से किसी पर नहीं हुई। पिछले महीने राज्य की नीतीश कुमार सरकार ने एक म्यान में यह दोनों तलवारें डाल दीं। शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के विभाग में अफसरों में सबसे ऊपर अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी केके पाठक को। अब शिक्षा मंत्री ने पाठक के व्यवहार को लेकर ‘पीत पत्र’ भेजा है। इसमें उन शब्दों का भी जिक्र है, जो कथित तौर पर केके पाठक के विभाग में आने के बाद प्रचलित हुए हैं।
22 दिनों में शिक्षा मंत्री का हाल जानकर चौंक जाएंगे
राम और रामचरितमानस को मनुवाद से जोड़कर नालंदा खुला विश्वविद्यालय के मंच पर बैकवर्ड-फॉरवर्ड करने वाले शिक्षा मंत्री को इस बार राज्य के कड़क अफसर से पाला पड़ा है। पाठक के विभाग में आने के 22 दिनों के अंदर शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने पीत पत्र में लिखवाया है- “पिछले कई दिनों से शिक्षा मंत्री महसूस कर रहे हैं कि शिक्षा विभाग मीडिया में नकारात्मक खबरों से अधिक चर्चा में है। विभागीय कागजात विभागीय पदाधिकारियों या मंत्री कोषांग में पहुंचने से पहले ही सोशल मीडिया पर आ जाते हैं। शिक्षा विभाग में ज्ञान से अधिक चर्चा कड़क, सीधा कर देने, नट बोल्ट टाइट करने, शौचालय साफ कराने, झाड़ू मारने, ड्रेस पहनने, सिर फोड़ने, डराने, पैंट गीली करने, नकेल कसने, वेतन काटने, निलंबित करने, उखाड़ देने, फाड़ देने जैसे शब्दों की है।”
बिहारियों को गालियां देना बिहार की सरकारी भाषा में ‘असंदर्भित शब्द’
इमेज बनाने के हथकंडों पर जताई नाराजगी
अपर मुख्य सचिव पाठक को इमेज बनाने के हथकंडों पर भी शिक्षा मंत्री ने तीखी प्रतिक्रिया दी है- “कार्यालय अवधि समाप्ति के बाद भी कार्य कर रहे एक निदेशक के कक्ष से टीवी चैनल वाले लाइव कर रहे हैं। अधिकारी बता रहे हैं कि अब वह काम कर रहे हैं। विभागीय अधिकारी के औचक निरीक्षण की जानकारी कुछ यूट्यूब वालों और पत्रकारों को दी जाती है, ताकि वह निरीक्षण स्थलों पर पहले से मौजूद रहें। वरीय अधिकारी द्वारा बंद कमरे में ली जा रही मीटिंग की खबर भी मीडिया में द्रुत गति से संचारित हो जाती है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि किसी खास व्यक्ति द्वारा निहित स्वार्थों की पूर्ति अथवा सरकार की छवि कुप्रभावित करने के उद्देश्य से विभागीय आंतरिक खबरों को मीडिया में प्लांट किया जा रहा है।”