एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान
– फोटो : अमर उजाला
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जाति जनगणना के आंकड़ों को लेकर राजनीतिक घमासान तेज है। इसको लेकर जहां एक ओर सरकार यह कह रही है कि आंकड़ा सही है वहीं विपक्ष में बैठी भाजपा का कहना है कि आंकड़ा गलत है। इसी विरोध को देखते हुए मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जिसमें उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जनता दल यूनाईटेड के प्रतिनिधि और राज्य सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी व विजेंद्र यादव, पूर्व मुख्यमंत्री व हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान, असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के इकलौते विधायक अख्तरुल ईमान, सीपीएम के अजय कुमार, सीपीआईएमएल के महबूब आलम, सीपीआई के सूर्यकांत पासवान और फिलहाल विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा मौजूद थे।
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एआईएमआईएम ने कहा – आंकड़ा सही
एआईएमआईएम के इकलौते विधायक अख्तरुल ईमान का कहना है कि जो कुछ भी सर्वे होगा वह सौ फीसदी दुरुस्त नहीं हो पाता है। सरकारी काम में थोड़ी बहुत त्रुटि होती ही है। लेकिन मैं समझता हूं कि इस देश में लोगों का पेशा लोगों की जाति से तय होता है। उसकी अमीरी और गरीबी उसके जाति से ही तय हो जाती है। आज जो आंकड़े आए हैं वह सीधी तौर पर यह बताते हैं कि किसकी कितनी आबादी है। आंकड़ों के हिसाब से पिछड़ों की आबादी अब 63% हो गई है इसलिए अब आरक्षण में उनका आकार बढ़ना चाहिए। इन 75 -76 सालों में भी रिजर्वेशन के बाद भी एससी एसटी की सीट खाली रह जाती है नौकरियों में। इसका मतलब उनका सामाजिक, उनका शैक्षणिक और उनका आर्थिक उत्थान नहीं हो सका है। यही हाल माइनॉरिटी का भी है इसलिए रिजर्वेशन का आकार बढ़ाईये।
जिसकी जितनी आबादी आरक्षण में उसका उतना बढ़े दायरा
एआईएमआईएम के इकलौते विधायक अख्तरुल ईमान का कहना है कि हमारी पार्टी का सात स्टैंड है जिसे मैंने बता दिया है। हालांकि इस सिलसिले में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने कोई बयान नहीं दिया है। लेकिन एआईएमआईएम का स्टैंड है कि चूंकि आपने सब कुछ कराया है तो पैथोलॉजिकल रिपोर्ट इसलिए है कि बीमार लोगों को दवा दी जाए। पैथोलॉजिकल रिपोर्ट आ गई और दवा ना दी जाए तो मैं समझता हूं कि मरीज के साथ धोखा होगा। इसलिए अगर वह (मुख्यमंत्री ) समय मांग रहे हैं तो अच्छी बात है लेकिन आने वाले दिनों में हमारे पार्टी की मांग है कि देश के पिछड़ों की मांग है, अति पिछड़ों की मांग है कि आबादी बढ़ी है तो आरक्षण का आकार भी बढ़ना चाहिए और साथ ही जिस कम्युनिटी की जितनी आबादी है ओबीसी में उनका आरक्षण में दायरा बढ़ाना चाहिए।