पीड़ित बुजुर्ग हरिश्चंद्र पूर्वे
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साहब, मेरी बेल हो चुकी है। केस भी झूठा है। बीमार हूं, मुझे पकड़ कर थाना मत ले जाइए। कमर दर्द से परेशान रहता हूं… और भी कई तरह की दिक्कत है। यह गुहार बिहार के सीतामढ़ी जिले के रून्नीसैदपुर थाना के भनुडीह गांव निवासी बुजुर्ग व्यक्ति हरिश्चंद्र पूर्वे यह गुहार लगा रहे थे। महिलाएं भी पुलिसवालों के सामने रो और गिड़गिड़ा रही थीं। लेकिन लाव-लश्कर के साथ शनिवार को तकरीबन डेढ़ बजे रात में पहुंचे रून्नीसैदपुर थाना पुलिस पर किसी तरह का कोई असर नहीं हुआ। पुलिस जबरन हरिश्चंद्र पूर्वे को पकड़ कर अपने साथ ले गई। पुलिस ने बुजुर्ग पूर्वे को भीषण गर्मी में शनिवार की पूरी रात और रविवार को तकरीबन दो बजे तक अपनी हिरासत में रखा।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय से जमानत मिलने के बाद भी पुलिस द्वारा बुजुर्ग हरिश्चंद्र पूर्वे को हिरासत में रखने की जानकारी स्थानीय जदयू विधायक पंकज मिश्रा को मिली। उसके बाद विधायक और वरीय अधिवक्ता विमल शुक्ला से पूरी जानकारी मिलने पर एसपी मनोज कुमार तिवारी के आदेश पर पुलिस ने हरिश्चंद्र पूर्वे को छोड़ा।
पीड़ित के रिश्तेदार सतीश पूर्वे ने कहा कि जांचकर्ता को जमानत से संबंधित कागजात देने के बाद बार-बार गुहार लगाने पर भी यह कहा गया कि डीएसपी साहब का आदेश मिलने के बाद ही उन्हें छोड़ा जाएगा। पूरा मामला प्रखंड क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक, हरिश्चंद्र पूर्वे समेत सात लोगों के खिलाफ रून्नीसैदपुर थाना में एक मामला दर्ज है। उक्त मामले में सात जुलाई को जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सीतामढ़ी की न्यायालय से हरिश्चंद्र पूर्वे समेत अन्य अभियुक्तों का अग्रिम आवेदन स्वीकृत कर लिया गया। आदेश में लिखा गया कि विद्वान अधीनस्थ न्यायालय में आदेश की प्रति प्राप्त होने के चार सप्ताह के अंदर गिरफ्तार किए जाने तथा आत्मसमर्पण किए जाने पर धारा 438(2) द.प्र.सं. की शर्तों के अधीन 10 हजार रुपया की समान धन राशि के दो प्रतिभुओं सहित बंधपत्र दाखिल करने पर अधीनस्थ न्यायालय की संपुष्टि पर जमानत पर छोड़े जाने का आदेश दिया जाता है। गौरतलब है कि हरिश्चंद्र पूर्वे जदयू विधान पार्षद रेखा देवी व चर्चित चिकित्सक डॉ. मनोज कुमार के रिश्तेदार हैं।
‘यह अदालत की अवमानना’
वरीय अधिवक्ता विमल शुक्ला ने कहा कि न्यायालय का आदेश सर्वोपरि है। इस आदेश का पालन नहीं करना न्यायालय की अवमानना है। अग्रिम जमानत मिलने के बाद भी हरिश्चंद्र पूर्वे को गिरफ्तार करने वालों पर विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए। सदर डीएसपी को भी संज्ञान में देने के बाद पीड़ित व्यक्ति को नहीं छोड़ा गया। हालांकि एसपी मनोज कुमार तिवारी ने त्वरित कार्रवाई कर पीड़ित को मुक्त करवाते हुए पुलिसकर्मियों से स्पष्टीकरण भी मांगा है।