पीएम नरेंद्र मोदी और सांसद चिराग पासवान। (फाइल फोटो)
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लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। इसके जरिए उन्होंने ऑपरेशन गंगा के तहत वापस भारत लाए गए मेडिकल स्टूडेंट्स की समस्याओं से अवगत कराया है। चिराग ने पीएम मोदी से इनकी समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई है। चिराग ने इस चिट्ठी के जरिए पीएम मोदी से जो कहा वह बातें ‘अमर उजाला’ आपको जस के तस बता रहा है।
सांसद चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए लिखा कि इस पत्र के माध्यम से आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि यूक्रेन में रहकर मेडिकल की पढाई करने वाले लगभग 1100 भारतीय छात्र-छात्राओं को ऑपरेशन गंगा के तहत युद्ध के बीच सुरक्षित भारत वापस लाया गया था वो आज बहुत ही बड़ी मुसीबत में है और दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं तथा 2 वर्षों से रूस-यूक्रेन में युद्ध होने के कारण मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहे है। आपने उन्हें युद्ध के बीच से निकाल तो लिया लेकिन अब उन्हें अपने कैरियर बचाने के लिए आपकी मदद की आवश्यकता है। सभी छात्र (बैच सितम्बर-2021 एवं बैच फरवरी – 2022 ) रोजाना युद्ध के रूकने की प्रतीक्षा कर रहे है।
विदेशी देश के मेडिकल संस्थान में अपना नामांकन करा सके
इन मेडिकल छात्र-छात्राओं का कहना है कि भारत सरकार उनको एक बार के लिए स्थानांतरण प्रदान करें ताकि वे किसी अन्य विदेशी देश के मेडिकल संस्थान में अपना नामांकन करा सके, जिससे उनकी सभी परेशानियां दूर हो सके, जो उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान झेलनी पड़ रही है। यह सभी छात्र स्थानांतरण की मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि युद्ध के इस माहौल में इनका वापस यूक्रेन लौटना मुमकिन नहीं है और ना ही ये ज्यादा दिनों तक अपनी मेडिकल की पढ़ाई ऑनलाइन कर सकते है।
छात्र-छात्राओं ने कर्ज लेकर यूक्रेन में एडमिशन लिया था
चिराग पासवान ने कहा कि यूक्रेन से लौटे उपरोक्त छात्र-छात्राओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुझसे व्यक्तिगत मुलाकात कर अवगत कराया है कि वर्ष 2014 में भी क्रीमिया (यूक्रेन) रूस युद्ध के दौरान भी भारतीय छात्र-छात्राओं को अन्य देशों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए स्थानांतरण प्रदान किया गया था। मुलाकात के दौरान यह भी बताया गया है कि इन छात्रों का नया सेशन सितम्बर माह-2023 से प्रारंभ होने वाला है यदि इसके पूर्व सरकार अगस्त माह -2023 तक इनकी दुविधाओं व परेशानियों को समझकर इस विषय पर कोई ठोस कदम उठाती है तो इनका भविष्य अधर में जाने से बचाया जा सकता है क्योंकि इनमें से काफी छात्र-छात्राओं ने कर्ज लेकर अपनी मेडिकल की पढाई के लिए यूक्रेन में नामांकन लिया था ताकि वहां से पढ़कर चिकित्सा के क्षेत्र में अपना एवं अपने देश का नाम रौशन कर सके। अनुरोध है कि अपने स्तर से उपरोक्त मेडिकल छात्र-छात्राओं की असुविधाओं व परेशानियों को ध्यान में रखते हुए उनका स्थानांतरण विदेशी मेडिकल संस्थानों में किए जाने की किए जाने पर अग्रेतर कार्रवाई की जाए।