डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Mon, 24 May 2021 06:02 PM IST
सार
युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने कहा, बिहार में शिक्षकों के तीन लाख से अधिक पद खाली हैं, फिर भी सरकार उनकी बहाली नहीं कर रही है…
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बिहार सरकार में प्राथमिक शिक्षकों के 94 हजार पदों के जल्द नियोजन को लेकर सोमवार को ‘युवा हल्लाबोल’ की टीम ने ट्वीटर पर अभियान चलाया। ‘बिहार नीड्स टीचर्स’ हैशटैग से चलाए गए अभियान में लाखों युवा शामिल हुए। केंद्र एवं राज्य सरकारों की कई ऐसी नौकरियां, जिनमें अभी तक उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग लैटर नहीं मिला है या भर्ती प्रक्रिया किसी वजह से लंबित पड़ी है, ऐसे उम्मीदवार भी युवा हल्लाबोल की मुहिम में शामिल हो गए। युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने कहा, बिहार में शिक्षकों के तीन लाख से अधिक पद खाली हैं, फिर भी सरकार उनकी बहाली नहीं कर रही है।देश में रोजगार के सवाल को मजबूती से उठाने वाले युवा नेता अनुपम ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार को ‘पढ़ाई, कमाई, दवाई’ के मुद्दों पर पूरी तरह फेल बताया है। इसी का नतीजा है कि ‘बिहार नीड्स टीचर्स’ अभियान लाखों ट्वीट के साथ देशभर में लगातार ट्रेंड करता रहा। अनुपम ने कहा कि बिहार सरकार की ढिलाई और संवेदनहीनता के कारण शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई है। एक तरफ तो सरकार बार-बार आश्वासन देती रही, वहीं दूसरी तरफ बहाली करने की बजाए अब तक सिर्फ बहानेबाजी की गई। भले अब न्यायालय का बहाना बनाकर सरकार पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है लेकिन सच तो ये है कि शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा बार बार गुहार लगाने के बावजूद तुरंत सुनवाई के लिए केस मेंशनिंग नहीं की गई। अब स्पष्ट हो चुका है कि भाजपा-जदयू की सरकार में शिक्षक बहाली करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति की घोर कमी है।अनुपम ने याद दिलाया कि भारत सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार देशभर में खाली पड़े स्वीकृत पदों में सबसे अधिक पद शिक्षकों के ही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर दस लाख शिक्षकों से भी ज़्यादा रिक्त पदों में से अकेले बिहार में 3,15,778 पद खाली हैं। बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था के बारे में देश दुनिया में चर्चा होती रहती है। ऐसे में किसी भी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए थी कि जल्द से जल्द इन खाली पड़े पदों को भरा जाए। ‘युवा हल्ला बोल’ राष्ट्रीय परिषद के सदस्य डॉ. अखिलेश कुमार ने सवाल करते हुए कहा है कि अगर इतनी वाजिब मांग के लिए भी बेरोजगार युवाओं को आंदोलन प्रदर्शन करना पड़े तो किस काम की सरकार है ये। किस बात का लोकतंत्र है हमारा। डॉ. अखिलेश ने कहा कि शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ तब तक पूरी मजबूती से संघर्ष किया जाएगा, जब तक कि बहाली प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। सरकार को समझना चाहिए कि अगर युवा भी अपने भविष्य के लिए इतना अनिश्चित और अंधकारमय है तो देश प्रदेश का भविष्य उज्ज्वल कैसे होगा। इन मूलभूत बातों को नीतीश कुमार की सरकार अगर नहीं समझती तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और मजबूत किया जाएगा। जिस तरह ‘युवा हल्ला बोल’ ने देश के अन्य हिस्सों में महापंचायत का आयोजन किया था, उसी तरह राजधानी पटना में भी शिक्षक बहाली के मुद्दे पर ज़ोरदार ‘युवा महापंचायत’ आयोजित होगी।
विस्तार
बिहार सरकार में प्राथमिक शिक्षकों के 94 हजार पदों के जल्द नियोजन को लेकर सोमवार को ‘युवा हल्लाबोल’ की टीम ने ट्वीटर पर अभियान चलाया। ‘बिहार नीड्स टीचर्स’ हैशटैग से चलाए गए अभियान में लाखों युवा शामिल हुए। केंद्र एवं राज्य सरकारों की कई ऐसी नौकरियां, जिनमें अभी तक उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग लैटर नहीं मिला है या भर्ती प्रक्रिया किसी वजह से लंबित पड़ी है, ऐसे उम्मीदवार भी युवा हल्लाबोल की मुहिम में शामिल हो गए। युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने कहा, बिहार में शिक्षकों के तीन लाख से अधिक पद खाली हैं, फिर भी सरकार उनकी बहाली नहीं कर रही है।
देश में रोजगार के सवाल को मजबूती से उठाने वाले युवा नेता अनुपम ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार को ‘पढ़ाई, कमाई, दवाई’ के मुद्दों पर पूरी तरह फेल बताया है। इसी का नतीजा है कि ‘बिहार नीड्स टीचर्स’ अभियान लाखों ट्वीट के साथ देशभर में लगातार ट्रेंड करता रहा। अनुपम ने कहा कि बिहार सरकार की ढिलाई और संवेदनहीनता के कारण शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई है। एक तरफ तो सरकार बार-बार आश्वासन देती रही, वहीं दूसरी तरफ बहाली करने की बजाए अब तक सिर्फ बहानेबाजी की गई। भले अब न्यायालय का बहाना बनाकर सरकार पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है लेकिन सच तो ये है कि शिक्षक अभ्यर्थियों द्वारा बार बार गुहार लगाने के बावजूद तुरंत सुनवाई के लिए केस मेंशनिंग नहीं की गई। अब स्पष्ट हो चुका है कि भाजपा-जदयू की सरकार में शिक्षक बहाली करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति की घोर कमी है।
अनुपम ने याद दिलाया कि भारत सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार देशभर में खाली पड़े स्वीकृत पदों में सबसे अधिक पद शिक्षकों के ही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर दस लाख शिक्षकों से भी ज़्यादा रिक्त पदों में से अकेले बिहार में 3,15,778 पद खाली हैं। बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था के बारे में देश दुनिया में चर्चा होती रहती है। ऐसे में किसी भी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए थी कि जल्द से जल्द इन खाली पड़े पदों को भरा जाए।
‘युवा हल्ला बोल’ राष्ट्रीय परिषद के सदस्य डॉ. अखिलेश कुमार ने सवाल करते हुए कहा है कि अगर इतनी वाजिब मांग के लिए भी बेरोजगार युवाओं को आंदोलन प्रदर्शन करना पड़े तो किस काम की सरकार है ये। किस बात का लोकतंत्र है हमारा। डॉ. अखिलेश ने कहा कि शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ तब तक पूरी मजबूती से संघर्ष किया जाएगा, जब तक कि बहाली प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। सरकार को समझना चाहिए कि अगर युवा भी अपने भविष्य के लिए इतना अनिश्चित और अंधकारमय है तो देश प्रदेश का भविष्य उज्ज्वल कैसे होगा। इन मूलभूत बातों को नीतीश कुमार की सरकार अगर नहीं समझती तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और मजबूत किया जाएगा। जिस तरह ‘युवा हल्ला बोल’ ने देश के अन्य हिस्सों में महापंचायत का आयोजन किया था, उसी तरह राजधानी पटना में भी शिक्षक बहाली के मुद्दे पर ज़ोरदार ‘युवा महापंचायत’ आयोजित होगी।