बिहार सरकार की दो टूक: जून तक 5.51 लाख आवासों का निर्माण पूरा करें, वरना कार्रवाई के लिए तैयार रहें अधिकारी



सार
बिहार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 5,51,893 घरों का निर्माण तय समय पर पूरा ना होना गंभीर है। इनमें प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत 2,42,803 और तत्कालीन इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) के तहत 3,09,090 घरों का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। 

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प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत लंबित 5.51 लाख आवासों का निर्माण जून तक पूरा नहीं होने पर बिहार सरकार संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। गुरुवार को राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने ये चेतावनी दी है। बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने गुरुवार को बताया कि उन्होंने हाल ही में सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों के साथ इसको लेकर बैठक की है। मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों को चेतावनी दी कि अगर वे तय समय सीमा पर काम को पूरा करने में विफल रहते हैं तो उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी।बिहार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 5,51,893 घरों का निर्माण तय समय पर पूरा ना होना गंभीर है। इनमें प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत 2,42,803 और तत्कालीन इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) के तहत 3,09,090 घरों का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। लंबित 5.51 लाख आवासों में से कई घर 2015 से निर्माणाधीन हैं,जिन्हें 2012-13 में वित्तीय मंजूरी मिल गई थी।ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने जताया खेदग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इसे लेकर खेद जताते हुए कहा कि निर्माण में देरी के कारण कोई भी निजी या राष्ट्रीयकृत बैंक लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं के तहत मकान बनाने के लिए कर्ज देने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने कई बार इस मुद्दे को उठाया है। हाल ही में, मैंने बैंकों से इस साल 24 मार्च को पटना में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक के दौरान पीएमएवाई-जी योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को गृह ऋण प्रदान करने का आग्रह किया था। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत लाभार्थी बैंको से 70,000 रुपये तक का ऋण ले सकते हैं।ये है आंकड़ासमाचार एजेंसी पीटीआई के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 2016-2021 तक पीएमएवाई-जी के तहत 26.96 लाख से अधिक घरों को मंजूरी दी गई थी। इनमें से 24.54 लाख घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। पीटीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 85 प्रतिशत जिलों में कार्य धीमी गति से हो रहा है। जिसमें सुपौल में 77 प्रतिशत, सारण में 78.65 प्रतिशत, मधेपुरा में 81.65 प्रतिशत, कटिहार में 82.64 प्रतिशत, मुंगेर में 83.14 , बेगूसराय में 83.64 प्रतिशत, लखीसराय में 82.24 प्रतिशत धीमी गति से काम हो रहा है।वहीं, अररिया, दरभंगा, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, पूर्णिया, समस्तीपुर, सुपौल, मधुबनी और बेगूसराय जिले में तत्कालीन इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) के तहत 2012 ले आवासों का निर्माण लंबित है। बता दें कि एनडीए सरकार ने आईएवाई का नाम बदलकर पीएमएवाई-जी कर दिया था। 2016 में इसे ‘2022 तक सभी के लिए आवास’ पहल के तहत फिर से लॉन्च किया था। इसके तहत 2016-17 से 2021-22 तक देश भर में 2.95 करोड़ लोगों को घर मुहैया कराने का लक्ष्य तय किया गया था। जिसमें से कुल 2.62 करोड़ आवास आवंटित किए गए हैं।बिहार सरकार ने औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति को मंजूरी दीबिहार सरकार ने राज्य में अधिक-से-अधिक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बहुप्रतीक्षित बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति (वस्त्र एवं चर्म नीति) 2022 को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने संवाददाताओं को बताया कि मंत्रिपरिषद ने बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति (वस्त्र एवं चर्म नीति)-2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। 

विस्तार

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत लंबित 5.51 लाख आवासों का निर्माण जून तक पूरा नहीं होने पर बिहार सरकार संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। गुरुवार को राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने ये चेतावनी दी है। बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने गुरुवार को बताया कि उन्होंने हाल ही में सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों के साथ इसको लेकर बैठक की है। मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों को चेतावनी दी कि अगर वे तय समय सीमा पर काम को पूरा करने में विफल रहते हैं तो उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी।

बिहार राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 5,51,893 घरों का निर्माण तय समय पर पूरा ना होना गंभीर है। इनमें प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत 2,42,803 और तत्कालीन इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) के तहत 3,09,090 घरों का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। लंबित 5.51 लाख आवासों में से कई घर 2015 से निर्माणाधीन हैं,जिन्हें 2012-13 में वित्तीय मंजूरी मिल गई थी।

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने जताया खेद
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इसे लेकर खेद जताते हुए कहा कि निर्माण में देरी के कारण कोई भी निजी या राष्ट्रीयकृत बैंक लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं के तहत मकान बनाने के लिए कर्ज देने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने कई बार इस मुद्दे को उठाया है। हाल ही में, मैंने बैंकों से इस साल 24 मार्च को पटना में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की बैठक के दौरान पीएमएवाई-जी योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को गृह ऋण प्रदान करने का आग्रह किया था। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत लाभार्थी बैंको से 70,000 रुपये तक का ऋण ले सकते हैं।
ये है आंकड़ा
समाचार एजेंसी पीटीआई के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 2016-2021 तक पीएमएवाई-जी के तहत 26.96 लाख से अधिक घरों को मंजूरी दी गई थी। इनमें से 24.54 लाख घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। पीटीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 85 प्रतिशत जिलों में कार्य धीमी गति से हो रहा है। जिसमें सुपौल में 77 प्रतिशत, सारण में 78.65 प्रतिशत, मधेपुरा में 81.65 प्रतिशत, कटिहार में 82.64 प्रतिशत, मुंगेर में 83.14 , बेगूसराय में 83.64 प्रतिशत, लखीसराय में 82.24 प्रतिशत धीमी गति से काम हो रहा है।
वहीं, अररिया, दरभंगा, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, पूर्णिया, समस्तीपुर, सुपौल, मधुबनी और बेगूसराय जिले में तत्कालीन इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) के तहत 2012 ले आवासों का निर्माण लंबित है। बता दें कि एनडीए सरकार ने आईएवाई का नाम बदलकर पीएमएवाई-जी कर दिया था। 2016 में इसे ‘2022 तक सभी के लिए आवास’ पहल के तहत फिर से लॉन्च किया था। इसके तहत 2016-17 से 2021-22 तक देश भर में 2.95 करोड़ लोगों को घर मुहैया कराने का लक्ष्य तय किया गया था। जिसमें से कुल 2.62 करोड़ आवास आवंटित किए गए हैं।

बिहार सरकार ने औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति को मंजूरी दी

बिहार सरकार ने राज्य में अधिक-से-अधिक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बहुप्रतीक्षित बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति (वस्त्र एवं चर्म नीति) 2022 को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने संवाददाताओं को बताया कि मंत्रिपरिषद ने बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति (वस्त्र एवं चर्म नीति)-2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

 



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