पटना हाई कोर्ट ने किया बिहार में 94 हजार शिक्षक भर्ती का रास्ता साफ, अब सरकार जल्द पूरी करे बहाली: अनुपम


डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 03 Jun 2021 05:48 PM IST

सार
पटना हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए अनुपम ने शिक्षक अभ्यर्थियों को याद दिलाया कि मंजिल अभी भी बाकी है। भले ही न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुना दिया है, लेकिन सरकारों की कार्यप्रणाली पर भरोसा करना कठिन है…

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वर्षों से लंबित पड़े बिहार के 94000 शिक्षक भर्ती मामले में एक अहम मोड़ आ गया है। गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में अपनी सुनवाई पूरी राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द शिक्षकों को बहाली दे। बेरोजगारी को राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले जाने माने युवा नेता अनुपम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री विजय चौधरी से अदालत का आदेश अविलंब लागू करने की मांग की है। साथ ही अनुपम ने शिक्षकों के 3,15,778 रिक्त पदों को जल्द भरने के लिए एसटीईटी समेत अन्य बहालियों को भी पूरा करने पर जोर दिया है।ज्ञात हो कि पिछले कई वर्षों से ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम बिहार में शिक्षक बहाली के मुद्दे को बड़ी मजबूती से उठा रहे थे। इस बाबत सोशल मीडिया पर भी एक बड़ी मुहिम छेड़ी गई। नतीजा, प्रदेश के लाखों रिक्त पदों की तरफ पूरे देश का ध्यान आकृष्ट हो गया। ‘बिहार नीड्स टीचर्स’ जब ट्रेंड करने लगा तो बिहार सरकार की नींद टूटी। पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री यशवंत सिन्हा और पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त यशोवर्धन आज़ाद से लेकर देश के कई पत्रकारों, साहित्यकारों और नेताओं ने बिहार में शिक्षक भर्ती पर ‘युवा हल्ला बोल’ की आवाज से आवाज मिलाई। कुशल निर्देशन और ‘युवा हल्ला बोल’ की कर्मठ टीम के सहारे शिक्षक भर्ती का गंभीर मुद्दा अब बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी प्रमुखता से उठाया जा रहा है। युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम के द्वारा इस मुद्दे को लगातार उठाने के कारण राज्य सरकारों पर दबाव बन रहा है और उनकी जवाबदेही भी तय हो रही है।पटना हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए अनुपम ने शिक्षक अभ्यर्थियों को याद दिलाया कि मंजिल अभी भी बाकी है। भले ही न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुना दिया है, लेकिन सरकारों की कार्यप्रणाली पर भरोसा करना कठिन है। इसलिए जब तक सम्पूर्ण नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक निश्चिंत नहीं होना चाहिए। शिक्षा मंत्री बार-बार न्यायालय की आड़ में छिपकर कहते रहे हैं कि जैसे ही कोर्ट फैसला देगा, वे अगले ही दिन शिक्षकों की नियुक्ति कर देंगे। गेंद अब सरकार के पाले में है और बिहार के बेरोजगार युवाओं की शिक्षा मंत्री पर नजर है।  अनुपम का कहना है कि ये तो एक बहाली का मामला है, लेकिन बिहार में आज कई स्तर पर शिक्षक भर्तियां रुकी हुई हैं। पिछले दिनों से बीएसटीईटी 2019 माध्यमिक शिक्षक बहाली के लिए भी हज़ारों अभ्यर्थी ट्विटर पर गुहार लगा रहे हैं। इसके अलावा एसटीईटी के अन्य शिक्षक अभ्यर्थी भी हैं, जिनको पात्रता मिलने के बावजूद वर्षों से न्याय नहीं मिला है। अनुपम ने कहा कि बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए अत्यंत आवश्यक है कि तीन लाख से ज़्यादा रिक्त पड़े पदों को तुरंत भरा जाए। शिक्षक भर्ती का मुद्दा सिर्फ बेरोज़गारी मिटाने का ही संघर्ष नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने का भी आंदोलन है। अनुपम ने देश में शिक्षा और रोज़गार को सबसे बड़ा सवाल बताते हुए नागरिकों से राष्ट्रनिर्माण के लिए इस संघर्ष में साथ आने की अपील की है।

विस्तार

वर्षों से लंबित पड़े बिहार के 94000 शिक्षक भर्ती मामले में एक अहम मोड़ आ गया है। गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में अपनी सुनवाई पूरी राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द शिक्षकों को बहाली दे। बेरोजगारी को राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले जाने माने युवा नेता अनुपम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री विजय चौधरी से अदालत का आदेश अविलंब लागू करने की मांग की है। साथ ही अनुपम ने शिक्षकों के 3,15,778 रिक्त पदों को जल्द भरने के लिए एसटीईटी समेत अन्य बहालियों को भी पूरा करने पर जोर दिया है।

ज्ञात हो कि पिछले कई वर्षों से ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम बिहार में शिक्षक बहाली के मुद्दे को बड़ी मजबूती से उठा रहे थे। इस बाबत सोशल मीडिया पर भी एक बड़ी मुहिम छेड़ी गई। नतीजा, प्रदेश के लाखों रिक्त पदों की तरफ पूरे देश का ध्यान आकृष्ट हो गया। ‘बिहार नीड्स टीचर्स’ जब ट्रेंड करने लगा तो बिहार सरकार की नींद टूटी। पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री यशवंत सिन्हा और पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त यशोवर्धन आज़ाद से लेकर देश के कई पत्रकारों, साहित्यकारों और नेताओं ने बिहार में शिक्षक भर्ती पर ‘युवा हल्ला बोल’ की आवाज से आवाज मिलाई। कुशल निर्देशन और ‘युवा हल्ला बोल’ की कर्मठ टीम के सहारे शिक्षक भर्ती का गंभीर मुद्दा अब बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी प्रमुखता से उठाया जा रहा है। युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम के द्वारा इस मुद्दे को लगातार उठाने के कारण राज्य सरकारों पर दबाव बन रहा है और उनकी जवाबदेही भी तय हो रही है।

पटना हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए अनुपम ने शिक्षक अभ्यर्थियों को याद दिलाया कि मंजिल अभी भी बाकी है। भले ही न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुना दिया है, लेकिन सरकारों की कार्यप्रणाली पर भरोसा करना कठिन है। इसलिए जब तक सम्पूर्ण नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक निश्चिंत नहीं होना चाहिए। शिक्षा मंत्री बार-बार न्यायालय की आड़ में छिपकर कहते रहे हैं कि जैसे ही कोर्ट फैसला देगा, वे अगले ही दिन शिक्षकों की नियुक्ति कर देंगे। गेंद अब सरकार के पाले में है और बिहार के बेरोजगार युवाओं की शिक्षा मंत्री पर नजर है।  
अनुपम का कहना है कि ये तो एक बहाली का मामला है, लेकिन बिहार में आज कई स्तर पर शिक्षक भर्तियां रुकी हुई हैं। पिछले दिनों से बीएसटीईटी 2019 माध्यमिक शिक्षक बहाली के लिए भी हज़ारों अभ्यर्थी ट्विटर पर गुहार लगा रहे हैं। इसके अलावा एसटीईटी के अन्य शिक्षक अभ्यर्थी भी हैं, जिनको पात्रता मिलने के बावजूद वर्षों से न्याय नहीं मिला है। अनुपम ने कहा कि बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए अत्यंत आवश्यक है कि तीन लाख से ज़्यादा रिक्त पड़े पदों को तुरंत भरा जाए। शिक्षक भर्ती का मुद्दा सिर्फ बेरोज़गारी मिटाने का ही संघर्ष नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने का भी आंदोलन है। अनुपम ने देश में शिक्षा और रोज़गार को सबसे बड़ा सवाल बताते हुए नागरिकों से राष्ट्रनिर्माण के लिए इस संघर्ष में साथ आने की अपील की है।



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